बौद्धिक संपदा अधिकार प्रबंधन एवं रणनीति सम्मेलन 2024 का समापन
रुड़की (देशराज पाल)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में 22 से 24 फरवरी तक आयोजित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रबंधन एवं रणनीति सम्मेलन (एमआईपीएस) 2024 का उत्साहपूर्वक समापन हुआ। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में आईपीआर चेयर के आयोजन सचिव व समन्वयक प्रोफेसर रजत अग्रवाल द्वारा समन्वित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में विद्वानों, चिकित्सकों और नीति निर्माताओं की एक विविध श्रृंखला को एक साथ लाया गया।बौद्धिक संपदा प्रबंधन की जटिलताओं को उजागर करने के उद्देश्य से कार्यशालाओं और मुख्य सत्रों की एक समृद्ध श्रृंखला से अवगत कराया गया।
उल्लेखनीय कार्यशालाओं में ऐपन आर्ट, पेटेंट ड्राफ्टिंग, पेटेंट खोज एवं डेटाबेस तथा पेटेंट ड्राफ्टिंग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एकीकरण पर सत्र शामिल थे, जो आईपी प्रबंधन के विभिन्न आयामों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। उद्योग विशेषज्ञों एवं शैक्षणिक दिग्गजों सहित सम्मानित वक्ताओं ने नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए अपनी विशेषज्ञता साझा की। उपस्थित लोग विधायी विश्लेषण, पेटेंट परिदृश्य और विभिन्न क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा की चुनौतियों पर चर्चा में शामिल हुए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में सहयोग और सीखने के जीवंत वातावरण ने बौद्धिक संपदा अनुसंधान और अभ्यास में ज्ञान तथा उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री हिमानी पांडे एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत सहित विशिष्ट अतिथियों ने उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई तथा नवाचार एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। सुश्री पांडे ने शैक्षणिक समुदाय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर बातचीत के लिए देश की सहायता हेतु आईपीआर के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर गहन अध्ययन करने को कहा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने इन भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, "एमआईपीएस 2024 ने बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए बौद्धिक वार्ता एवं नवाचार का एक जीवंत वातावरण तैयार किया।" प्रोफेसर पंत ने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बौद्धिक संपदा की भूमिका पर भी जोर दिया।
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