ऐतिहासिक लीलौर झील किनारे बनेगी विरासत वृक्ष वाटिका
प्रदेश के 11 जिलों में बरेली का चयन, लगाए जायेंगे विरासत संभाले 948 वृक्ष
बरेली। महाभारत कालीन युधिष्ठिर और यक्ष प्रश्न की मान्यता वाले लीलौर झील के किनारे अब प्रदेश सरकार ने विरासत वृक्ष वाटिका लगाने का निर्णय लिया है। योजना के मुताबिक प्रदेश के 75 जिलों में केवल 11 जनपद विरासत वृक्ष वाटिका लगाने के लिए चयनित किए गए हैं, जिसमें से बरेली जनपद भी शामिल है। वाटिका में ऐसे विरासत वृक्ष की कटिंग पौध लगाई जाएगी जो वृक्ष 100 साल से ज्यादा आयु पूरी कर चुके हैं, और साथ ही कोई ना कोई इतिहास संजोए हुए भी हैं। जनपद में तहसील आंवला के रामनगर ब्लॉक के ग्राम लीलौर में ग्राम समाज की 8 हेक्टेयर भूमि पर पूरे प्रदेश से चयनित 948 विरासत वृक्ष की कटिंग पौध लगाई जाएगी। बता दे की पूरे प्रदेश के कुल 948 विरासत वृक्ष में से 26 विरासत वृक्ष जनपद बरेली से ही चुने गए हैं। किसी ना किसी रूप में विरासत संजोए सभी वृक्षों की आयु 100 साल से भी ज्यादा है। किसी किसी वृक्ष की आयु 150 साल से ज्यादा की बताई जा रही है। डीएफओ दीक्षा भंडारी की पहल पर जनपद में प्रदेश स्तर की विरासत वृक्ष वाटिका बनाई जा रही है। बता दे कि प्रदेश में पहली बार वृक्षों को विरासत के रूप में संजोए जाने का ऐतिहासिक कार्य किया गया है। विरासत वृक्षों की परिकल्पना वर्ष 2020 में की गई, जिसके बाद विरासत वृक्ष की जनपद स्तर पर खोज की गई और 2021 में विरासत वृक्ष नामक काफी टेबल बुक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा किया गया। बता दें कि जनपद बरेली में 26 विरासत वृक्ष हैं, जिसमे पीपल के 17 वृक्ष, बरगद के 7 वृक्ष, तथा नीम और गूलर का एक एक वृक्ष है। इन सभी वृक्षों की कटिंग कराकर आंवला के गांव सेंधा में नर्सरी तैयार की गई है। नर्सरी में 10 अलग-अलग स्थान पर पौध तैयार की गई है, ताकि विरासत वृक्ष वाटिका में पौधरोपण करते वक्त कोई परेशानी ना हो। डीएफओ दीक्षा भंडारी ने बताया कि जुलाई माह में शासन से निर्देश मिलते ही विरासत वृक्ष वाटिका में पौधरोपण कर दिया जाएगा।
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