दो दशक पुराना है नक्सल का इतिहास
बलिया। नक्सल इतिहास दो दशक पुराना है। नक्सली अलग-अलग थाना क्षेत्रों में कई वारदात को अंजाम दे चुके हैं। अब मामला एनआईए के पास पहुंचा है। बलिया से दबोचे गए आरोपियों को एनआईए ने रिमांड पर लिया है। इससे नक्सलियों की जड़ों की जानकारी मिलेगी। मामले में और गिरफ्तारी हो सकती है।जिले में 15 वर्ष बाद नक्सली गतिविधि से प्रशासनिक महकमे में हलचल मची है।
अधिकारियों के अनुसार, आरोपी नक्सली से खूंखार हैं, जो देश विरोधी गतिविधि में शामिल थे। सदर कोतवाली के सहरसपाली में वर्ष 2008 में गांव के सोहन सिंह की गोली मारकर हत्या हुई थी। पुलिस की जांच में नक्सली गतिविधि का सुराग मिलने पर प्रशासन में हड़कंप मचा था।पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।
सघन चेकिंग अभियान चला, जिसमें कई घरों में हथियार और बम सहित अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हुए थे। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। पुलिसिया कार्रवाई में नक्सल गतिविधियों से जुड़े कई परिवार पलायन कर गए थे। इसके तीन वर्ष बाद 2012 में सहतवार थाना क्षेत्र के कुशहर गांव में पुलिस वर्दी में आए नक्सलियों ने कुशहर गांव की प्रधान फूलमती देवी की हत्या कर दी थी। इसमें भी छोटे कहार आरोपी था।
आरोपी महिला नक्सली ने जंगल में ली ट्रेनिंग
प्रधान हत्याकांड में आरोपी पूर्व कोटेदार कृष्ण कुमार की दो वर्ष बाद अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। नक्सली हमले में शामिल छोटे 15 वर्ष बाद गिरफ्तार हुआ था। वह तेलंगाना में नाम बदलकर रह रहा था।14 अगस्त 2023 को यूपी एटीएस ने बसंतपुर गांव से पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। वे सभी एक झोपड़ी में अपने संगठन की गोपनीय बैठक कर रहे थे।
उनके कब्जे से काफी मात्रा में नक्सल साहित्य, पर्चे, हस्तलिखित संदेश, लैपटॉप, मोबाइल फोन, नाइन एमएम पिस्टल सहित कई अन्य सामान बरामद हुए थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिले में अब तक के सबसे हार्डकोर नक्सली बताए जा रहे हैं। इनमें गिरफ्तार महिला तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा जंगलों में नक्सल ट्रेनिंग ले चुकी है। लल्लू राम उर्फ अरुण राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत तथा विनोद साहनी भी गिरफ्तार किए गए।
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