बागेश्वर में जिला अध्यक्ष पद एक बार फिर घमासान

बागेश्वर में जिला अध्यक्ष पद एक बार फिर घमासान

बागेश्वर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया संपन्‍न हो चुकी है। ऐसे में बागेश्वर जिले में 19 जिला पंचायत सदस्य सीटों के लिए 82 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। ऐसे में अब 10 और 11 को नाम वापसी के बाद ही चुनाव लड़ने वालों की तस्वीर साफ हो पाएगी।

जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए एक बार फिर से यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच रोमांचक मुकाबला होने के आसार हैं।साल 1997 में अल्मोड़ा से अलग होकर बागेश्वर को अलग जिले का दर्जा मिला था। जिसके बाद वष 2000 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद भाजपा के बलवंत सिंह भौर्याल पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बने।

वहीं दूसरे चुनाव में भाजपा की दीपा आर्या के सिर जिप अध्यक्ष का ताज सजा। तीसरे चुनाव में फिर भाजपा ने बाजी मारी, इस बार राम सिंह कोरंगा और विक्रम सिंह शाही को ढाई-ढाई साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का मौका मिला।

लगातार तीन बार तक जिला पंचायत की सीट अपने पास रखने वाली भाजपा को 2014 के चुनाव में उस समय बड़ा झटका लगा। जब बड़ेत सीट से जिप॑ सदस्य का चुनाव जीतकर आए कांग्रेस के हरीश ऐठानी इस बार लॉटरी सिस्टम से जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए।

हालांकि भाजपा जैसी सफलता को कांग्रेस दोहरा नहीं सकी और 2019 में भाजपा नेता बसंती देव जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। इस बार अंतर केबल एक वोट का रहा। वहीं 2025 में भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने 16 प्रत्याशियों को समर्थन देकर मैदान में उतारा है।

 

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