कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स अब आए सामने : डाॅ. महेन्द्र सिंह नागर

सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग समेत कई बीमारियां होने का दावा..कोविशील्ड के बाद अब भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सीन के भी साइड इफेक्ट्स होने का दावा किया जा रहा है, यह जानकारी लगातार छप रही रिपोर्टों से सामने आयी है

कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स अब आए सामने : डाॅ. महेन्द्र सिंह नागर

गाजियाबाद। ( तरूणमित्र )कोविशील्ड के बाद अब भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोरोना वैक्सीन-कोवैक्सीन के भी साइड इफेक्ट्स होने का दावा किया जा रहा है। यह जानकारी लगातार छप रही रिपोर्टों से सामने आयी है। रिपोर्ट के मुताबिक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी में हिस्सा लेने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। शोध में सामने आयी कई दिक्कतें बीएचयू की ओर से किये गए शोध में हिस्सा लेने वाले लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीनएजर्स, खास तौर पर किशोरियों और किसी भी एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को कोवैक्सीन से खतरा है। हालांकि कुछ दिन पहले कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई हुई वैक्सीन सुरक्षित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोवैक्सीन के दो डोज लगवाए थे। बीएचयू के शोध में वैक्सीन से होने वाली 3 समस्याएं अधिक देखने को मिलीं, 1- सांस संबंधी परेशानी अधिक बढ़ी है, डाॅ. महेन्द्र सिंह नागर ने कहा कि शोध करने वाले शंख शुभ्रा चक्रवर्ती ने कहा कि हमने उन लोगों के आकड़े एकत्र किये जिन्हें वैक्सीन लगे एक वर्ष हो गया था। ऐसे 1,024 लोगों पर अध्ययन किया। इनमें से 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे। शोध के अनुसार, 304 (47.9 फीसदी) किशोरों और 124 (42.6 प्रतिशत) वयस्कों में सांस संबंधी इन्फेक्शन (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) देखे गए। इससे लोगों में सर्दी, खांसी समेत अन्य समस्याएं देखी गईं। 2- स्किन से जुड़े रोग बढ़े शोध में सामने आया कि अध्ययन में हिस्सा लेने वाले टीनएजर्स में स्किन से जुड़ी बीमारियां (10.5 प्रतिशत) नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर (4.7 फीसदी) और जनरल डिसऑर्डर (10.2 प्रतिशत) देखे गए। वहीं वयस्कों में जनरल डिसऑर्डर (8.9 प्रतिशत), मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर (5.8 प्रतिशत) और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर (5.5 प्रतिशत) देखे गए। 3- गुलियन बेरी सिंड्रोम की संभावना बढ़ी, कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर हुए शोध में 4.6 प्रतिशत किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं (अनियमित पीरियड्स) देखी गईं। प्रतिभागियों में आंखों से जुड़ी असामान्यताएं (2.7 प्रतिशत) और हाइपोथायरायडिज्म (0.6 प्रतिशत) भी देखा गया। वहीं, 0.3 प्रतिशत प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1 प्रतिशत प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम की पहचान भी हुई। आइए जानते हैं आखिर गुलियन बेरी सिंड्रोम क्या है?  गुलियन बेरी सिंड्रोम एक ऐसा रोग है जो लकवे की तरह शरीर के बड़े हिस्से को धीरे-धीरे निशक्त कर देती है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के मुताबिक, गुलियन बेरी सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। शोध में यह भी कहा गया कि अध्ययन में हिस्सा लेने वाले जिन टीनएजर्स और महिला वयस्कों को पहले से कोई एलर्जी थी और जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद टाइफाइड हुआ उन्हें खतरा अधिक था। कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी का बड़ा खुलासा, वैक्सीन से हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स, कोविशील्ड वैक्सीन पर बोले विशेषज्ञ, कहा अब डरने की कोई जरूरत नहीं लेकिन इसमें कई तरह के बचाव करना बेहद जरूरी है।

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