इस खास मकसद से की गई तैयार डायबिटीज वाली बार्बी डॉल

 इस खास मकसद से की गई तैयार डायबिटीज वाली बार्बी डॉल

वॉशिंगटन :पूरी दुनिया में बार्बी डॉल्स को लेकर जबरदस्त क्रेज है। लड़कियां बार्बी के नए-नए एडिशन को लेकर उत्सुक रहती है। अमूमन हर लड़की की बचपन की यादों में बार्बी जरूर शामिल होगी। बार्बी के कपड़े, बार्बी की एक्सेसरीज हर चीज आकर्षित करती है। मार्केट में शेफ बार्बी, डॉक्टर बार्बी, स्केटिंग बार्बी और अब डायबिटीज वाली बार्बी भी आ गई है। जी हां बार्बी बनाने वाली कंपनी मटेल (Barbie Doll Making Company Mattel) ने एक खास मकसद से नई बार्बी डॉल लॉन्च की है। जो टाइप-1 डायबिटीज के साथ आती है। कंपनी ने ये डॉल उन बच्चों को ध्यान में रखते हुए तैयार की है जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं। ताकि डायबिटीज से पीड़ित बच्चे भी अपनी कहानी बार्बी डॉल में देख सकें। 

 

कंपनी को ओर से डायबिटीज वाली नई बार्बी डॉल को खासतौर से वॉशिंगटन में आयोजित 'ब्रेकथ्रू T1D चिल्ड्रन कांग्रेस' में लॉन्च किया गया। कंपनी की ओर से इंस्टाग्राम पर बार्बी का लुक, डिजाइन और उसकी फोटो शेयर की गई हैं।


डायबिटीज बर्बी का खास मकसद 
कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और ग्लोबल हेड ऑफ डॉल्स, क्रिस्टा बर्गर ने बताया कि 'टाइप-1 डायबिटीज बार्बी डॉल को लॉन्च करने का मदसद समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी की दिशा में अहम कदम है। बार्बी बच्चों की सोच को आकार देती है और हमारा उद्देश्य है कि हर बच्चा अपनी जिंदगी की झलक बार्बी में देख पाए।'

डायबिटीज वाली बार्बी की खासियत
बार्बी डॉल का ये नया एडिशन '2025 बार्बी फैशनिस्टा' सीरीज का हिस्सा है। डायबिटीज बार्बी ने नीले पोल्का डॉट्स वाला क्रॉप टॉप, फ्रिल्ड मिनी स्कर्ट और स्टाइलिश हील्स पहनी हैं। इसके साथ कुछ खास एक्सेसरीज भी दी गई हैं। चूंकि ये डायबिटीड बार्बी है तो इसे कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (CGM), इंसुलिन पंप और एक बैग के साथ डिजाइन किया गया है। बैग में इमरजेंसी स्नैक्स रख सकते हैं। बार्बी की बाजू पर ग्लूकोज मॉनिटर लगा है और उसने कमर पर इंसुलिन पंप लगाया हुआ है। इस डॉल को टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों की दिनचर्या के हिसाब से डिजाइन किया गया है। नीले रंग के पोल्का डॉट्स को भी डायबिटीज जागरुकता का प्रतीक माना जाता है।

टाइप 1 डायबिटीज
आपको बता दें टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम ही गलती से इंसुलिन बनाने वाले सेल्स पर हमला कर देता है। शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। ऐसे में मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन या इंसुलिन पंप लेना पड़ता है। जिससे वो नॉर्मल जिंदगी जी सके।

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