मेदांता : 8 लाख मांगने पर दूसरे अस्पताल को भागा मरीज

आईजीआरएस पर मरीज के परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार

मेदांता : 8 लाख मांगने पर दूसरे अस्पताल को भागा मरीज

  • दूसरे अस्पताल में 125 रूपये में ठीक होने ठोका दावा

लखनऊ। राजधानी में जाने माने निजी अस्पताल पर आरोप से लगातर घिरता नजर आ रहा है। जब मरीज मोहन स्वरूप भरतद्वाज उम्र 45 निवासी लखनऊ निवासी का मामला आईजीआरएस पर शिकायत करते ही सोशल मीडिया पर आग की फैल गयी। मरीज मोहन स्वरूप द्वारा जारी शिकायत में मेदांता अस्पताल पर आरोप लगाया कि मामूली चक्कर आने पर परिजनों ने मेदांता अस्पताल लेकर गये जहां पर डॉ.महिम सरन कार्डियोलॉजी डॉ अवनीश कार्डियोलॉजी के देखने पर 100 फीसदी ब्लाकेज की बात बता कर 8 लाख रूपये जमा करने को कहा और बोला नहीं जमा करोगे तो मरीज की मौत हो जायेगी।

ऐसा सुनते ही मरीज के परिजनों में घबराहट बढ गयी और इधर उधर से किसी तरह पैसा जुटाने में लग गये। इसके अलावा परिजनो ने बताया कि मरीज को स्टंट डालने को बताया गया। बता दें कि मरीज के परिजनों का द्वारा करीब दो लाख रूपये व्यवस्था होने का जिक्र किया है और बताया कि इतनी बड़ी रकम जुटाना परिजनो को नागवार गुजरा और इसके बाद परिजनों ने दूसरे अस्पताल लेकर गये जहां पर मरीज को 125 रूपये में ठीक हो जाने की बात कही है। मरीज के मित्र मनोज कुमार ने दूसरे ग्लोब अस्पताल में ले जाने की बात कही। जब परिजनों ने मरीज को डिस्चार्ज कराने की बात कही तब डॉक्टर भड़कने और गाली गलौज की करने के आरोप लगाए।

इसके लिए परिजनो ने 24 हजार रूपये वापस कराने की मांग की है। वहीं जब इस मामले को लेकर मेदांता अस्पताल निदेशक डॉ. राकेश कपूर से बात की तो उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के मरीजों को 128 रुपये की दवाओं द्वारा ठीक नहीं  किया जा सकता है और लोग अपना सही इलाज न कराकर अपनी जान खतरे में डालेंगे। उन्होंने बताया कि मरीज की जाँचों के उपरांत डायग्नोसिस एक्यूट हार्ट अटैक थी। मरीज को सबसे पहले राइट क्रोनरी आर्टरी में 100 फीसदी ब्लाकेज निकला। इसके साथ ही लेफ्ट क्रोनरी आर्टरी की ब्रांच में 70 फीसदी ब्लाकेज निकला। ऐसे मरीजों में 100 प्रतिशत आर्टरी को खोलना जरूरी होता है और इसे मरीज की पत्नी ने आगे इलाज कराने से मना कर दिया और मरीज को लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइज लामा करा ले गये।

डॉ. कपूर ने कहा कि एक्यूट हार्ट अटैक प्रारंभिक दर्द में आराम तो होता है परंतु ब्लाकेज आर्टरी नहीं खुल सकती है और आने वाले समय में पुन: हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। जिससे मरीज की आकस्मिक मृत्यु भी हो सकती है। अस्थायी दर्द में आराम का मतलब यह नहीं होता है कि बीमारी खत्म हो गयी है। जब हार्ट अटैक आता है या जाँचों में आर्टेरियल ब्लाकेज निकलता है तो उसका उचित इलाज या एंजियोप्लास्टी स्टंट डालना या कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्रेफटिंग सर्जरी कैब करना होता है।

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