जीवित आदमी को मृत बता कर हड़पी जमीन लाखों में बेंची

खुद को जिंदा बताते हुए एक दशक से लड़ रहे हैं सह-खातेदार

जीवित आदमी को मृत बता कर हड़पी जमीन लाखों में बेंची

शाहजहांपुर। सर्बानंद पुत्र विद्यासागर ने उप्र के मुख्यमत्री की भेजे गये प्रार्थना पत्र में बताया है कि उनकी अहमदपुर-न्याजपुर की गाटा संख्या 376 रकबा 0.380 हेक्टेयर भूमि वर्ष 2000 तक जगदीश, भैया लाल, शैलेंद्र, महेश, सुरेश, मुकेश, राकेश, रमेश, सरबानंद व नत्थ के नाम दर्ज थी। उक्त कृषि भूमि पर सह खातेदार जगदीश की नियत खराब हो गई और उसने सभी सह-खातेदारों को लापता और मृत बताते हुए एक घोषणात्मक वाद संख्या 116/2001 न्यायालय उपजिलाधिकारी सदर के यहाँ दायर कर दिया और सभी सह- खातेदारों के पते गलत लिखा दिये। 

न्यायालय से भेजे गए सम्मन अदम तामील वापस आ गए तब एक न पढ़े जाने वाले गुमनाम अखबार में प्रकाशन करा दिया गया और एकपक्षीय रूप से वाद निर्णात करा कर अकेले जगदीश ने अपना नाम दर्ज करा लिया। इतना ही नहीं वह कृषि भूमि जगदीश ने वर्ष 2012 में फहद हुसैन व फैजाम हुसैन के नाम बिक्री कर दी जिसका अमल दरामद भी हो गया। जिसकी जानकारी होने पर सह-खातेदारों ने एकपक्षीय रूप से निर्णीत वाद को पुनर्स्थापित किये जाने का प्रार्थना पत्र दिया जिसे न्यायालय उपजिलाधिकारी सदर ने 15/2/2014 को खारिज कर दिया। जिसके विरुद्ध न्यायालय आयुक्त बरेली के यहाँ अपील योजित की गई। 

आयुक्त रणवीर प्रसाद ने न्यायालय उपजिलाधिकारी सदर शाहजहांपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 15/2/2014 व 29/6/2002 निरस्त कर दिए और वाद को गुण दोष के आधार पर सुनवाई कर निर्णात किये जाने का आदेश दिया। न्यायालय उपजिलाधिकारी सदर के यहाँ वाद लम्बन के दौरान तीन प्रतिवादी मर गए जिनके वारिसों को वादी जगदीश द्वारा पत्रावली पर प्रतिस्थापित न कराये जाने के कारण वाद दिनांक 19/7/2019 को वाद उपशमित हो गया। तब से लेकर आज तक सर्बानंद समेत सभी सह- खातेदार राजस्व अभिलेखों में अपना नाम पूर्ववत् दर्ज कराये जाने के लिए दर्जनों प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी एंव उपजिलाधिकारी सदर को दे चुके हैं परंतु नाम दर्ज नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं पत्रावली व राजस्व अभिलेखों से वह सभी कागजात गायब किये जा रहे हैं जिनमें सह खातेदारों के नाम दर्ज हैं ताकि वह भविष्य में उक्त जमीन पर दावा न कर सकें।

सर्बानंद की आयु 77 वर्ष हो चुकी है वह अधिकारियों के दरवाजे पर मत्था टेकते- टेकते और अपने को जीवित बताते हुए थक चुके हैं लेकिन नाम दर्ज नहीं किया जा रहा है।

उपरोक्त सम्बन्ध में मुख्यमत्री से निवेदन किया है कि संबन्धित अधिकारियों को प्रार्थी सहित सभी सहखातेदारो का नाम अबिलम्ब संक्रमणीय कृषि भूमि गाटा संख्या 376 रकबा 0.380 हे0 स्थित ग्राम अहमदपुर न्याजपुर परगना व तहसील सदर जिला शाहजहांपुर के राजस्व अभिलेखों में पूर्ववत दर्ज किये जाने समुचित निर्देश जारी किये जाने की कृपा करें।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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