आखिरकार देसी तकनीक ने सुरंग से मजदूरों को निकाला बाहर
उत्तर काशी में रैट होल तकनीक आई काम, विदेशी मशीनें हुई फेल
लखनऊ। आखिरकार तमाम विदेशी व अत्याधुनिक तकनीक अपनाने और विदेशी एक्सपर्ट की रायशुमारी विफल होने के 17 दिन बाद मंगलवार शाम को जाकर उत्तर काशी के सिल्कयारा में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूर एक-एक करके बाहर निकाले गये। जिन्हें रेस्क्यू कर एम्बुलेंस के जरिये जरूरी चिकित्सकीय सुविधायें मुहैया करायी गई हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जहां एक ओर ऑगर मशीन जैसी तकनीक फेल हो गई, तो वहीं दूसरी तरफ सालों पहले एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा प्रतिबंधित कर दिये गये ‘रैट होल खनिक श्रमिक मैनुअल’ औजारों के सहारे फंसे मजदूरों को निकालने में कामयाब हो गये।
इन श्रमिकों को दिल्ली और झांसी से खासतौर पर बुलाया गया था। यहां आपको बताते चलें कि इस तकनीक के तहत पहाड़ी के जरिये लम्बवत ड्रिलिंग के बाद श्रमिकों के बचाव को सुरंग की परत को काटकर एक-एक कर फंसे मजदूरों को निकाला गया। गौर हो कि रैट होल खनिक श्रमिक आमतौर पर बंद हो चुकी खादानों में अवैध रूप से खनन करने के लिये जाने जाते हैं, इस तकनीक के तहत ये श्रमिक इतने कुशल होते हैं कि पहाड़ की परतों को भांपकर कम जगह पर तेजी से सुरंग खोदने में माहिर माने जाते हैं। इसी तकनीक के सहारे ऐसे श्रमिकों का सहारा बंद हो चुकी कोयला, हीरा व अन्य खनिज खदानों से अवैध रूप से खनिज निकालने को दशकों से किया जाता रहा है।
कुछ साल पूर्व ऐसे ही एक अवैध खनन के दौरान एक द र्जन से अधिक मजदूरों के फंसकर मर जाने के बाद इसे अवैध घोषित कर दिया गया था और रैट होल को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। अब जबकि एक एक कर उत्तर काशी के सुरंग में फंसे श्रमिक एक एक करके बाहर निकाले जा रहे हैं तो देश-प्रदेश में हर्ष का माहौल कायम हो गया।
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