प्रभु का साथ देने वाले हर समाज को देना होगा सम्मान : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम और लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ने भारत की जो सीमा तय की थी वही आज भी है। प्रभु श्री राम ने उत्तर से दक्षिण तो श्रीकृष्ण ने उत्तर से पश्चिम को जोड़ा था। हजारों वर्ष पहले भारत में राजनीतिक इकाइयां भले ही अलग-अलग थीं, लेकिन सांस्कृतिक एकता एक थी। उन्होंने कहा कि दुनिया को विश्व मानवता की आस्था के सम्मान का मार्ग भी भारत ने ही दिखाया। यह हर कालखंड में हुआ है और यही स्थिति अयोध्या के अंदर आज हम सभी को देखने को मिल रही है।
सबकी आस्था का सम्मान करता है भारत : योगी
सीएम योगी फार्च्यून होटल में 'श्रीरामोत्सव-सबके राम' विषय पर एक मीडिया हाउस द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केरल से निकला एक संन्यासी भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना कर देता है। किसी भी राजा रजवाड़े ने उनको रोका नहीं, बल्कि उनका सम्मान किया। कपिलवस्तु का एक राजकुमार सन्यासी बनाकर ज्ञान का उपदेश देता है, उनके लिए सभी राज्यों के राजा-राजवाड़े अपने पलक पावड़े बिछा देते हैं। यह भारत है, जो आस्था का सम्मान करता है।
अयोध्या में श्रद्धालुओं को होगा सुखद अहसास : मुख्यमंत्री
2017 में प्रारंभ हुआ अयोध्या का भव्य दीपोत्सव आज राष्ट्रीय उत्सव बन चुका है। पिछले वर्ष दीपोत्सव के कार्यक्रम में 54 देशों के राजदूत भागीदार बने थे। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या में 24 घंटे बिजली मिलती है। राम की पैड़ी में लाखों श्रद्धालु एक साथ स्नान कर सकते हैं। राम भजन संध्या स्थल बन चुके हैं। प्रभु श्री राम के नाम पर सबसे ज्यादा भजन गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के नाम पर भव्य स्मारक बन चुका है। अयोध्या में सड़क, रेल और वायु कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। साथ ही हम जलमार्ग से भी अयोध्या को जोड़ रहे हैं। आज अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उन्हें एक सुखद अहसास होगा।
प्रभु का साथ देने वाले हर समाज को देना होगा सम्मान : योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या में हमारे रैन बसेरा और डॉरमेट्री निषादराज के नाम पर तो भोजनालय माता शबरी के नाम पर होंगे। यह हमारे लिए वोट बैंक का मुद्दा नहीं बल्कि प्रभु श्रीराम के प्रति आस्था व्यक्त करने का माध्यम है। क्योंकि अगर हमें प्रभु श्री राम को सम्मान देना है तो बजरंगबली, निषादराज और माता शबरी को सम्मान देना होगा। हमें समाज के हर उस तबके को भी सम्मान देना होगा, जिन्होंने उस कालखंड में प्रभु का साथ देकर के राम राज्य की स्थापना की नींव डाली थी।
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