सदर विधायक राकेश प्रताप सिंह सहित तीन विधायक सपा से निष्काषित सपा ने X पर लिखा जहां रहें विश्वसनीय रहें
मूल बिचार विरोधी गतिविधियां अक्षम्य
योगेन्द्र श्री वास्तव व्यूरो अमेठी
- विधायक राकेश सिंह ने कहा समाजवादी पार्टी अब “समाप्तवादी पार्टी” बन चुकी है
अमेठी। गौरीगंज से इस समय की बड़ी खबर, सपा ने गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह समेत तीन बागी विधायकों को पार्टी से निकाला और x पर लिखा जहां रहे विश्वसनीय रहे। जन विरोधी लोगों के लिए सपा में कोई स्थान नहीं। मूल विचार की विरोधी गतिविधियां अक्षम्य हैं।
बता दें कि समाजवादी पार्टी ने विभाजनकारी, नकारात्मकता और पीडीए विरोधी विचारधारा का साथ देने वाले और सौहार्द पूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत कार्य करने वाले सपा के तीन विधायकों क्रमशः गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह, ऊचाहार विधायक मनोज पांडेय और गोसाईगंज विधायक अभय सिंह को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया।
समाजवादी पार्टी के गौरीगंज विधायक ने x पर दिया पार्टी को जबाब कहा समाजवादी पार्टी अब “समाप्तवादी पार्टी” बन चुकी है*
“राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम…”
जिस सनातन धर्म में मेरा जन्म हुआ, जिसमें मैंने जीवन के आदर्श सीखे, सेवा का भाव पाया, और सभी जाति–मजहब को साथ लेकर चलने की सीख प्राप्त की — उस धर्म के प्रति मेरी निष्ठा अटूट है। यह वही सनातन धर्म है, जिसके अनुयायी इस देश में 120 करोड़ से अधिक हैं, और जिसकी जड़ें इस देश की संस्कृति, सभ्यता और आत्मा में गहराई से बसी हुई हैं।
किन्तु आज दुर्भाग्यवश, समाजवादी पार्टी अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रभु श्रीराम और सनातन धर्म को अपमानित करने से भी नहीं हिचक रही है। किसी एक धर्म विशेष को प्रसन्न करने की लालसा में, वे बार–बार सनातन पर प्रहार कर रहे हैं, अपशब्द कह रहे हैं, और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं।
यह वही पार्टी है, जो कभी डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों की बात करती थी — वही लोहिया जी जो रामायण मेला आयोजित करवाने की बात करते थे, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और धर्म के प्रति समर्पित थे। वे मानते थे कि प्रभु श्रीराम समस्त भारतीय समाज को जोड़ने वाले सांस्कृतिक प्रतीक हैं। लेकिन आज की समाजवादी पार्टी उस लोहिया के विचारों से पूरी तरह भटक चुकी है। आज वही पार्टी राम मंदिर मे प्रभु श्री राम के दर्शन करने पर अपने नेताओं पर प्रतिबन्ध लगाती है। यह विचलन केवल राजनीतिक पतन नहीं है, यह वैचारिक दिवालियापन है।
मैं पूछना चाहता हूँ — क्या अपने धर्म, अपने भगवान के लिए बोलना गुनाह है?
यदि यह बगावत है, तो हाँ! मैं बागी हूँ!
मैं उस हर विचारधारा के विरुद्ध बगावत करता रहूँगा जो सनातन धर्म का अपमान करेगी।
अखिलेश यादव जी ‘पीडीए’ की बात करते हैं — पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक!
तो क्या यह वही सरकार नहीं थी जिसने दलित महापुरुषों के नाम पर स्थापित कई ज़िलों का नाम बदलकर अपनी दलित विरोधी मानसिकता को उजागर किया? हमारे जिले छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर फिर से अमेठी करना केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि उन महापुरुषों और दलित समाज के सम्मान का अपमान था।
वास्तविकता यह है कि न तो वे पिछड़ों के हैं, न दलितों के। उनका झूठा प्रेम सिर्फ़ वोटबैंक की राजनीति है। वे सिर्फ़ और सिर्फ़ सनातन विरोधियों के साथ हैं — और यही उनकी असली पहचान है।
समाजवादी पार्टी अब “समाप्तवादी पार्टी” बन चुकी है — जो न विचारधारा में स्थिर है, न आचरण में। धर्म, भगवान और हमारे शास्त्रों से ऊपर कोई नहीं है — और जब कोई उनका अपमान करेगा, तब मेरा मौन रहना भी पाप होगा।
मैं सनातन का सिपाही हूँ, और सनातन पर आंच आने पर चुप नहीं रह सकता।
मैं बोलूँगा, ललकारूँगा — और अंत तक धर्म की रक्षा में खड़ा रहूँगा।
#जय_श्रीराम
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