स्टाफ नर्स अब कहलाएंगी नर्सिंग अधिकारी
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्टाफ नर्स के पदनाम को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है। अब स्टाफ नर्स को ‘नर्सिंग अधिकारी’ के नाम से संबोधित किया जाएगा। इसी प्रकार, नर्सिंग सिस्टर एवं नर्सिंग वार्ड मास्टर को अब ‘सीनियर नर्सिंग अधिकारी’ के रूप में जाना जाएगा। यह बदलाव केंद्र सरकार की समरूपता नीति के तहत किया गया है,ताकि राज्य और केंद्र के बीच नर्सिंग पदों में एकरूपता लाई जा सके। यह जानकारी उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने दी।
उन्होंने बताया कि यह निर्णय राजकीय नर्सेज संघ द्वारा दिए गए ज्ञापन के आधार पर लिया गया है, जिसमें लंबे समय से इन पदनामों के बदलाव की मांग की जा रही थी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि यह बदलाव केवल उन्हीं पदों पर लागू होगा जिनका नाम अब तक स्टाफ नर्स, नर्सिंग सिस्टर या वार्ड मास्टर रहा है। जबकि सहायक नर्सिंग अधीक्षक, उप नर्सिंग अधीक्षक, नर्सिंग अधीक्षक एवं मुख्य नर्सिंग अधिकारी जैसे उच्च पदों के नाम पूर्ववत ही रहेंगे और उनमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह बदलाव केवल पदनाम तक सीमित रहेगा और इससे सेवा शर्तों, वेतन या पदोन्नति प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।सरकार द्वारा निर्धारित शैक्षणिक अर्हताएं पहले की तरह ही लागू रहेंगी।
नर्सिंग अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों को या तो बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग के बाद छह माह का अनुभव होना आवश्यक होगा या फिर नर्सिंग में डिप्लोमा कोर्स पूरा करने के बाद कम से कम 50 शैय्या संयुक्त चिकित्सालय में ढाई वर्ष का कार्यानुभव होना चाहिए। इस बदलाव के बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने यह भी साफ किया है कि 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले पुनरीक्षित वेतन मैट्रिक्स लेवल में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और नर्सिंग संवर्ग के विभिन्न स्तरों पर वर्तमान वेतन संरचना ही लागू रहेगी।
सरकार के इस निर्णय को नर्सिंग समुदाय में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से नर्सिंग स्टाफ अपने पदनाम को लेकर असंतोष प्रकट करते रहे हैं और उनका मानना था कि ‘स्टाफ नर्स’ जैसे शब्द से उनकी पेशेवर पहचान और गरिमा को सही सम्मान नहीं मिल पाता। अब ‘नर्सिंग अधिकारी’ जैसे नाम से उन्हें एक अधिक प्रतिष्ठित और समरूप पहचान मिलेगी। राजकीय नर्सेज संघ ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे नर्सिंग क्षेत्र में काम करने वालों का मनोबल बढ़ेगा और उन्हें अपने कार्य के प्रति और अधिक सम्मान प्राप्त होगा।
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