प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर मनाया बुद्ध पूर्णिमा
By Harshit
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लखनऊ। राजधानी में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध को स्मरण किया गया। गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर महासभा के तत्वावधान में बुद्ध विहार सभागार में बौद्ध भिक्षु अमरबोधि द्वारा त्रिशरणं पंचशील बुद्ध वंदना के साथ बुद्ध प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद अनिल कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेशों का यह धर्म पद अनमोल अमृत वचन है, मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है। दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बुद्ध का महत्वपूर्ण उपदेश था।
दुनिया में शांति का संदेश देने वाले पहले महामानव तथागत गौतम बुद्ध थे। साथ ही विशिष्ट अतिथि पदम डॉ एसएन कुरील, प्रोफेसर केजीएमयू ने कहा कि आज से 2600 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोक अनुकंपाय का जो संदेश और उपदेश दिया था। वह त्रिपिटक के रूप में आज भी सुरक्षित है तथागत चाहते थे कि उनका संदेश जनसाधारण तक पहुंचे। इसी क्रम में आरआर जैसवार ने कहा की सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की उम्र में गृह त्याग किया और 35 वर्ष की उम्र में बोधि प्राप्त करने के बाद तथागत का 80 वर्ष की उम्र में महा परिनिर्वाण हुआ भगवान ने 45 साल के लंबे समय में लोक कल्याण के लिए जो कुछ भी धर्म प्रवचन किया वह इतना विशाल और अलग-अलग विषयों पर था कि संक्षिप्त रूप में कुछ भी अध्ययन किए बिना उसे समझ पाना मुश्किल था। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारत रत्न बोधिसत्व बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर प्रमोद कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेशों को बुद्ध वचन कहा जाता है। इन बुद्ध वचनों का समय-समय पर संज्ञान तथा संकलन किया जाता रहा है। यह उपदेश त्रिपिटक में संग्रहित है विनय पिटक अभिधम्म पिटक इसमें शुत पिटक के पांच ग्रंथ हैं।
जिसमें दीधनिकाय, मज्ज्ञिम निकाय, संयुक्त निकाय, अंगुत्तर निकाय , खुदृक निकाय इस अंतिम खुदृक निकाय में 15 ग्रंथ शामिल हैं। जिसको पढ़ने से यह पता चलता है की तथागत बुद्ध के उपदेश को ग्रहण किया जाए तो जीवन में दुख कष्ट की अनुभूति कभी हो ही नहीं सकती। कार्यक्रम का संचालन रामचन्द्र पटेल व कार्यक्रम में मुख्य रूप से महासभा के महामंत्री, अमरनाथ प्रजापति, प्रो. एसपी जैसवार केजीएमयू अधिक्षक क्वीन मैरी, डॉ. सत्यवती दोहरे, गंगा प्रसाद बौद्ध, राजेश सिद्धार्थ, विनोद खरवार, सर्वेश पाटिल, पीएल भारती, जयशंकर सहाय, सरदार चरण सिंह, सीताराम, राम शंकर सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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