केजीएमयू में नियमावली को दरकिनार कर बनाया प्रशासनिक अधिकारी

बिना नियुक्ति के कार्मिकों को दी पदोन्नति

केजीएमयू में नियमावली को दरकिनार कर बनाया प्रशासनिक अधिकारी

  • प्रशासन की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
  • विधान सभा सदस्यों ने पत्र जारी कर मांगा जवाब,फाइलों को दबाने का खेल जारी
  • फाइलों की हेराफेरी करने में जुटा संस्थान प्रशासन

 चन्द्र प्रकाश सिंह
लखनऊ। देश दुनिया में चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में छवि विखेरने वाले डॉक्टरों का प्रोडक्शन देने वाला संस्थान हो तो ऐसे चिकित्सा संस्थान में नियमों को दरकिनार कर कार्मिकों को पदोन्नति दे दी जाये तो मामले में उबाल आना स्वाभाविक है। मामला केजीएमयू में तैनात कर्मचारियों का है जहां पर उच्च अधिकारियों की सांठगांठ में कर्मचारियों को ऐसे ही नियुक्ति देकर उन्हें पदोन्नति दे दी गयी है। जिसमें करीब 8 कर्मचारियों को नियमों के विरूद्ध पदोन्नति देकर विभिन्न विभागों में तैनात कर दिया गया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गौरव कुमार श्रीवास्तव सहायक प्रशासनिक अधिकारी अर्थोपेडिक सर्जरी विभाग, सय्यद अख्तर अब्बास प्रशासनिक अधिकारी, कुलपति कार्यालय, शुशील कुमार तिवारी सहायक प्रशासनिक अधिकारी वित्त विभाग, अनिल अवस्थी सहायक प्रशासनिक अधिकारी कुलसचिव कार्यालय, अरविंद कुमार मौर्या प्रशासनिक अधिकारी थेरेसिक सर्जरी विभाग,आदर्श कुमार प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय, मनोज कुमार पांडेय सहायक प्रशासनिक अधिकारी ईएनटी विभाग में तैनाती दे गयी है।

वहीं सूत्रों का कहना है कि यहां जो भी मामला होता है उसे निपटाने के लिये सिंडिके ट सक्रिय है जिससे कोई अपनी आवाज उठाने में किनारा काट लेता है।  मामला इतना ही बल्कि संस्थान वर्षो से रिगुलर कर्मचारी अपनी पदोन्नति की आवाज उठाते रहे लेकिन उनकी आवाज सुनने के लिए संस्थान प्रशासन मौन धारण कर लिया । जिससे नियमित कर्मचारियों में निराशा के बादल मंडराने लगे है जिसका देखने वाला कोई नहीं है। वहीं सूत्रों की माने तो संस्थान में सिंडिकेट इतना सक्रिय है कि विधायकों द्वारा इस मामले का जवाब मांगा गया और उसे दबाने में भी कामयाब रहे और नियम विरूद्ध नियुक्ति का खेल जारी रहा।

नियुक्ति पाने वाले 8 कर्मचारी है जिनका कभी विनियमितीकरण हुआ ही नहीं है ’ नियम विरुद्ध अवैधानिक रूप से इन्हे प्रमोशन देकर प्रशासनिक अधिकारी तक बना दिया गया है। बता दें कि यह सभी नियुक्ति पाने वालो को जिनका आज की तिथि तक विनियमितीकरण हुआ ही नहीं है। जिसमें उप कुलपति की अध्यक्षता में बनी समिति ने इन्हे प्रशासनिक लिपिक संवर्ग से बाहर करते हुए संशोधित वरिष्ठता सूची जारी करने की संस्तुति की गयी पर अधिष्ठान के लोग मिली भगत से तीन वर्षो से फाइल दबाने के आरोप लगाये जा रहे है और अभी हाल ही में प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग स्तर से करायी गयी जाँच में मृतक आश्रित नियमावली के अधीन नियम विरूद्ध अनियमित अनुकम्पा नियुक्ति के दोषी पायें गये 5 कार्मिकों को सेवा से बर्खाश्त करना पड़ा था। 

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