जेल में बंद कैदियों को तिलक लगाने उमड़ी बहनें

जयपुर। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक भाई दूज का पर्व बुधवार को हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। वहीं भाईदूज के दिन राजधानी की सेन्ट्रल जेल में कैदियों के माथे पर तिलक लगाने के लिए उनकी बहनों का जमावड़ा देखने को मिला। इस दौरान जेल का माहौल भाई-बहनों के प्रेम से भरा नजर आया। बुधवार अल सुबह से ही जेल के बाहर बहनों की भीड़ जमा हो गई। भाईदूज पर बहनों ने अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की और दुलार दिया।

भाई दूज मनाने जेल पहुंची बहनों ने अपने भाईयों के माथे पर तिलक कर मिठाई खिलाई और उनकी सलामती की दुआ मांगी। इस त्यौहार पर करीब एक हजार महिलाओं ने जयपुर जेल पहुंच कर अपने-अपने भाईयों को तिलक लगाए। इस मौके पर जेल प्रशासन ने अलग-अलग 11 टीमों का गठन किया। जिसमें से 4 टीम जेल के अन्दर व 6 टीमों ने जेल के बाहर की व्यवस्था संभालते हुए महिलाओं की उनके भाइयों से मुलाकात करवाई।

जेल उप अधीक्षक ओम प्रकाश ने बताया कि भाई -दूज पर महिलाओं को अपने-अपने भाईयों को तिलक लगाने के लिए छूट दी गई थी। जिसमें जेल प्रशासन ने जेल में किसी भी तरह की कोई आपत्तिजन वस्तु ना पहुंच पाए। इसके लिए 11 टीमों का गठन किया गया। जिसमें से 4 टीम जेल के अन्दर व 6 टीमों ने जेल के बाहर का मोर्चा संभाला।

जेल उप अधीक्षक ने बताया कि जेल में भाई दूज पर मुलाकात के लिए महिलाओं को पहले वाली प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। जिसमें मुलाकात करने वाली महिलाओं ने अपना आधार कार्ड़ दिखाकर पर्ची बनवाई। जिसके बाद जेल में बंद भाईयों ने जाली में से हाथ बाहर निकाल कर रक्षा सूत्र बंधवाए और हाथ पर ही तिलक लगावा कर भाई -दूज का त्यौहार बनाया। उन्होंने बताया कि जेल में अपराधिक गतिविधियों पर रोक लगे। इसके लिए जेल प्रशासन बड़ी मुश्तैदी से काम करती है। लेकिन जेल में किसी भी तरह का मोबाइल फोन या नशे की वस्तु नहीं पहुंच पाए इसके लिए जेल प्रशासन ने भाई -दूज के त्यौहार पर जेल में कैदियों की मिठाई की व्यवस्था कैंटीन से ही उपलब्ध कराई। कैदियों से मुलाकात करने आई बहनों ने अपने -अपने भाईयों के खाते में मिठाई के पैसे जमा करवाए। जिसके बाद उन्होंने कैंटीन से मिठाई प्राप्त की।

जेल उप अधीक्षक ओम प्रकाश ने बताया कि भाई -दूज पर अपने -अपने भाईयों को रक्षा सूत्र बांधने के लिए जयपुर जेल में करीब एक हजार महिलाएं पहुंची। जिन्हें संभालने के लिए जेल के बाहर तैनात 6 टीमों ने बड़ी ही सरल प्रक्रिया से सामान की तलाशी लेने के बाद मुलाकात करवाई। जेल में बहनों से रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद कई कैदी भावुक हो उठे और उनकी आंखों से आंसू छल पड़े। जिन्हें देखकर बहनों के आंखों का दरिया भी छलक पड़ा। कई कैदियों ने भाई -दूज पर अपराध की दुनियां से वापस लौटने की कसम खाई।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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