सतत पाथेय प्रदान करेंगे महाराणा प्रताप के जीवन मूल्य : रणविजय सिंह*:

रामराज्य की संकल्पनाः रघुवंशी राम से महाराणा प्रताप तक’ विषयक व्याख्यान(

सतत पाथेय प्रदान करेंगे महाराणा प्रताप के जीवन मूल्य : रणविजय सिंह*:

×गो रखपुर। महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर में भारत-भारती पखवारा के अन्तर्गत आज हिन्दुआ सूर्य महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘रामराज्य की संकल्पनाः रघुवंशी राम से महाराणा प्रताप तक’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के पूर्व मुख्य वाणिज्य प्रबन्धक रणविजय सिंह ने कहा कि इतिहास मात्र अतीत की घटनाओं की जानकारी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक गौरव गाथाओं को अगली पीढ़ी तक सम्प्रेषित करने की प्रमुख विधा भी है। अतीत की गौरव गाथाओ और वर्तमान की सृजनशीलता से ही सभ्यताओं का मार्ग प्रशस्त होता है। महाराणा प्रताप हम सभी के ऐसे नायक हैं, जिनके त्याग एवं तपस्या के मूल्य हम सभी को सतत पाथेय प्रदान करते रहेंगे। 

रणविजय सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप ने किसी भी परिस्थिति में अपने सिद्धांतो के साथ समझौता नहीं किया। साम्राज्यवादी विस्तार की मुगलों के संकल्पना रथ को रोकनें के लिए महाराणा प्रताप ने जो अथक प्रयास किया, वह उन्हें भारत का प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी होने का गौरव प्रदान करता है। महाराणा प्रताप ने कभी भी अपने स्वाभिमान के मार्ग से हट कर मुगलों द्वारा थोपी गई पराधीनता की कुप्रथाआें जैसे-झरोखा दर्शन, दबाव पूर्ण वैवाहिक सम्बन्ध आदि को कभी भी स्वीकार नहीं किया। अगर हमें इतिहास को ठीक से जानना है, तो प्रताप के संघर्ष से हमें सीख लेना होगा। बलिदान और शौर्य के मूल्य प्रताप में इतने प्रबल थे कि, शत्रु भी उनकी प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकता था। महाराणा प्रताप की देशभक्ति एक अमिट लकीर है। यह इतिहास में विरले ही दिखाई देता है कि सामान्य जन ने अपने आप को प्रताप के स्वाभिमान के साथ जोड़ कर देखा और उनकी शौर्य गाथाओं को आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कर दिया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप राष्ट्र गौरव के प्रतीक हैं, उनका त्याग और बलिदान अविस्मरणीय है। महाराणा प्रताप यश, शौर्य और राष्ट्र स्वाभिमान के साक्षात प्रखर स्वरूप हैं। इतिहास के पन्नों में उनका नाम स्वर्णाक्षरो में अंकित रहेगा। उनका सम्पूर्ण जीवन इतिहास के उस अक्षयवट के समान है जो युवाओ को निरंतर प्रेरित करता रहेगा। लेकिन साम्राज्यवादी एवं साम्यवादी मानसिकता के कारण भारतीय इतिहास में उन्हे वह स्थान नही मिला जो मिलना चाहिए। वर्तमान सरकार एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में अब इतिहास के ऐसे अमर सपूतों को यथोचित स्थान मिल रहा है। महाराणा प्रताप भारतीय संस्कृति के प्रतीक है, राष्ट्रीय स्वाभिमान पर मर-मिटने वालों के प्रतिमान हैं। उनका उज्ज्वल औैर निर्मल चरित्र भारतीय इतिहास की अमूल्य निधि एवं थाती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करत हुए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़गवासला,पुणे के सेवानिवृत्त आचार्य डॉ0 राजेन्द्र भारती ने कहा कि महाराणा प्रताप उस परम्परा के वाहक हैं जिसमें यह अमर संदेश दिया गया कि कैसे राष्ट्र के लिए अपने परिवार सहित सर्वस्व की आहुति दी जा सकती है और देश की आन-बान व शान को विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी देश के दुश्मनों को आगे झुकने नहीं देना है। मध्यकालीन भारत में महाराणा प्रताप स्वाधीन चेतना के वैसे ही नायक है जैसे बीसवीं शताब्दी में भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल जैसे क्रान्तिकारी थे। महाराणा प्रताप हमारे ऐसे अग्रणी नायक है, जिनका जीवन शौर्य, सम्प्रभुता, स्वतन्त्रता, जातीय स्वाभिमान का प्रतिमान है। महाराणा प्रताप का नाम भारत के अमर-सपूतों में दर्ज है। प्रताप भारत एवं भारतीयता के प्रतीक हैं। राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रताप ने एक दिन भी चैन से नहीं जिया। जब भी राष्ट्र पर संकट होगा, राष्ट्र खतरे में होगा, स्वधर्म एवं देश का स्वाभिमान खतरे में होगा उस समय महाराणा प्रताप का त्याग व बलिदान एक प्रखर प्रकाश पुंज के रूप में हम सभी का मार्गदर्शन करेगा। 
कार्यक्रम का संचालन डॉ0 सुबोध कुमार मिश्र एवं संयोजन श्री अनूप कुमार पाण्डेय ने किया।  डॉ0 वेंकट रमन ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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