इंडियन नेवी को मिलेगा आज ऐसा जहाज, जो दुनिया में नहीं है किसी के पास

इंडियन नेवी को मिलेगा आज ऐसा जहाज, जो दुनिया में नहीं है किसी के पास

नई दिल्ली: इंडियन नेवी को आज एक ऐसा जहाज मिलने जा रहा है जैसा दुनिया में किसी नेवी के पास नहीं है। इससे दुनिया ये भी देखेगी कि भारत में प्राचीन काल से ही किस तरह से जहाज बनते रहे हैं और हमारी समुद्री ताकत कितनी मजबूत थी। इस जहाज को उसी सदियों पुरानी तकनीक से तैयार किया गया है। नेवी में शामिल होने के बाद इसका दूसरा फेज शुरू होगा।
 
यह जहाज महासागर की सैर पर निकलेगा। यह जहाज सदियों पुराने समुद्री व्यापार मार्ग (ट्रेड रूट) के जरिए भारत से दूसरे देश की यात्रा तय करेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए इंडियन नेवी, संस्कृति मंत्रालय और गोवा स्थित एक एमएसएमई होडी इनोवेशंस ने साथ मिलकर काम किया है।
 
केंद्रीय मंत्री सार्वजनिक करेंगे नाम
कारवार नेवल बेस में आज एक समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस जहाज का नाम सार्वजनिक करेंगे और इसे नेवी में शामिल करेंगे। यह जहाज पांचवीं शताब्दी ईसवी के समय के एक प्राचीन जहाज का पुनर्निर्माण है और इसकी प्रेरणा अजन्ता की गुफाओं की एक चित्रकला से ली गई है। जहाज की नींव 12 सितंबर 2023 को रखी गई थी।
 
केरल के कारीगरों ने किया है काम
जहाज का निर्माण पारंपरिक तरीकों और प्राकृतिक सामग्री से केरल के कारीगरों ने किया है। इस टीम का नेतृत्व प्रसिद्ध जहाज निर्माता बाबू शंकरण ने किया, जिन्होंने जहाज में हजारों जोड़ हाथ से सिले। पूरे प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग इंडियन नेवी ने की, जिसमें जहाज का डिज़ाइन, तकनीकी जांच और निर्माण शामिल है। इस प्रकार के जहाज का कोई पुराना डिजाइन या ढांचा नहीं बचा है इसलिए इसकी पूरी रूपरेखा अजन्ता चित्रों से तैयार करनी पड़ी।
 
आधुनिक जहाजों से बिल्कुल अलग
इंडियन नेवी के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि यह जहाज आज के आधुनिक जहाजों से बिल्कुल अलग है। इसमें चौकोर पाल और लकड़ी की पतवारें हैं और इसे हाथ से चलने वाले चप्पुओं से नियंत्रित किया जाता है। नेवी ने इस जहाज के डिजाइन की जांच के लिए आईआईटी मद्रास के समुद्र इंजीनियरिंग विभाग की मदद ली और खुद भी इसकी मजबूती का परीक्षण किया। नेवी में शामिल होने के बाद नेवी इस जहाज को पुराने समुद्री व्यापार मार्गों पर चलाएगी। इसकी पहली समुद्री यात्रा गुजरात से ओमान के बीच की जाएगी जिसकी तैयारी शुरू हो चुकी है।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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