भक्तों की आस्था का केंद्र है बावन का कुसमा देवी मंदिर
भक्तों की आस्था का केंद्र है बावन का कुसमा देवी मंदिर
बावन,हरदोई।हरदोई शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बावन कस्बे को मंदिरों का गांव कहा जाता है। किवदंती के अनुसार कभी यहाँ 52 मंदिर थे इसके फलस्वरूप इसका नाम बावन पड़ा जबकि कुछ लोग इसे राजा बली की नगरी कहते है और भगवान विष्णु के वामन अवतार के कारण ही इसका नाम बावन पड़ा। यूँ तो बावन में छोटे बड़े करीब तीन दर्जन मंदिर अब भी मौजूद है। इन्ही मंदिरों में से नकटी देवी या कुसमा देवी के मंदिर की भक्तों में बहुत आस्था है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा बलि ने 100 अश्वमेघ यज्ञ किये , जब अंतिम अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे तब यहाँ सूर्य भगवान भी प्रगट हुए । उसी स्थान पर राजा बलि ने एक तालाब खोदवाया। बाद में इस तालाब का नाम सूरजकुंड पड़ा। राजा बलि ने ही सूरज कुंड तालाब के उत्तर में शक्ति स्वरूप देवी की एक मूर्ति स्थापित की।
मुगल काल मे औरंगजेब के सैनिकों ने यहां आक्रमण किया था, जिसमे इस देवी मंदिर को तोड़ने का प्रयास भी किया था। हालांकि सैनिक मंदिर तो नष्ट तो नही कर पाए लेकिन कुछ क्षतिग्रस्त जरूर हो गया। भक्तों की आस्था कम नही हुई और तबसे यह देवी मंदिर नकटी देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी मंदिर को कुशमा देवी मंदिर भी कहते हैं।प्रत्येक वर्ष भादों के प्रथम रविवार को यहां एक विशाल मेला लगता था, दूर दूर से हज़ारों लोग सूरजकुंड में नहाने और देवी की पूजा करने आते है।मान्यता यह भी है कि सूरजकुंड में नहाने से चर्मरोग ठीक हो जाता है। कालांतर में यह मंदिर जीर्ण शीर्ण हो गया,लेकिन फिर बावन के देवी भक्त रामपाल सिंह व उनके पुत्र शेखर सिंह,रतन सिंह, ने भक्तों के सहयोग से इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया। वर्तमान में प्राचीन देवी मंदिर के अलावा एक अन्य भव्य मंदिर इसी परिसर में विद्यमान है।
आसपास के गांव में हज़ारों लोगों की आस्था के केंद्र इस देवी माता मंदिर में विवाह पूर्व होने वाला मात्र पूजन बगैर माता मंदिर आये पूर्ण नही होता है। नवरात्र में तो इस मंदिर की विशेष मान्यता है। नवरात्र में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं का यहाँ तांता लगा रहता है। मंदिर परिसर में मेला भी लगता है,जिसमे महिलाओं और बच्चों की भीड़ लगी रहती है।
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