पहलगाम हमला: आज हम वैश्विक मंच पर अकेले हैं..!!
By Tarunmitra
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(पवन सिंह)
"पहलगाम हमला" केवल आतंकवादी हमला भर नहीं है..!!उसने देश की साख, देश की पहचान, देश की ताकत और देश के नेतृत्व पर चौतरफा हमला किया है। इस हमले ने हमारी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की धज्जियां उड़ा दी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम आज पूरी तरह से अकेले खड़े है। विडंबना यह है कि हमारे साथ आज हमारे पड़ोसी देश तक खड़े नहीं हैं। वह अलग बात है कि हर विफलता को हम लफ्फाज मीडिया की चादर और आईटी सेल की भदभदही पोस्टों से ढक देते हैं लेकिन हर बार हक़ीक़त बाहर दिख जाती है। अब हमें यह ईमानदारी से स्वीकार कर लेना चाहिए कि हां!
हमने ब्लंडर किए हैं और हमने एक सम्प्रभु राष्ट्र को आंतरिक और बाह्य रूप से बहुत कमजोर कर दिया है। किसी भी देश की ताकत उसके भीतर के मजबूत सामाजिक व राजनैतिक ढांचे से मिलती है, जिसे विगत 15-16 सालों में योजनाबद्ध तरीके से विखंडित किया गया है। इस आर्थिक युग में जब ताकत का आंकलन आर्थिक सम्पन्नता हो ऐसे में जब हम हिटलर की 1933-1945 की सोच व दर्शन को लेकर आगे चल रहे हों, तो देश की दुर्दशा तो होनी ही थी। बकौल हिटलर दर्शन- (01)देश की जनता की हालत ऐसी कर दो कि वह दो रोटी कमाने को ही विकास समझे (02) कुछ ही धनाढ्य व्यापारियों को साथ रखो जो उतना ही सोचें और करें जो आप चाहो..!!! बस यहीं चूक हो गई और आज हम न घर के रहे न घाट के। देश की आर्थिक स्थिति चरमरा चुकी है...50% संसाधन दो खास उद्योगपतियों के हिस्से में जा चुके हैं, आम आदमी के पास पैसा बचा नहीं है, रोजगार तबाह हैं और नौकरियां हैं नहीं..!! उस पर पड़ोस में चीन जैसा दैत्याकार दोस्त और दूसरी ओर परंपरागत दुश्मन पाकिस्तान..।
कोई स्वीकार करें या न करे, भारत की अंतरराष्ट्रीय साख बहुत ही तेजी से गिरी है और "कूटनीतिक स्तर" का सच यह है कि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव तक से संबंधों में ठंडापन है और इन देशों में आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध देश चीन का जबरदस्त हस्तक्षेप है। भूटान भी चीन के करीब है और म्यांमार भी..! अब हम पूरी तरह से अकेले हैं..! अमेरिका एक बहुत ही अविश्वसनीय देश है और रूस हमसे सशंकित है कि हमारा ऊंट आखिर बैठेगा तो किस करवट बैठेगा।
फिलहाल पहलगाम हमले ने बहुत कुछ एक्सपोज़ कर दिया है। हमले के बाद भारत के तेवर देखते ही चीन और तुर्की सीधे पाक के साथ आकर खड़े हो गये। पहलगाम पर आतंकी हमले के दो ही दिन बाद धड़ाधड़ C-130 हरक्यूलिस एयरक्रॉफ्ट इस्लामाबाद में लैंड हुए! सवाल उठा कि क्या China खुल कर पाक की सैन्य मदद के लिए सामने आ गया है। पहलगाम आतंकी हमले के दो दिन बाद ही तुर्की ने भी यह संकेत दिए कि वह हर हाल में पाकिस्तान के साथ है और इसी क्रम में इस्लामाबाद में युद्ध सामग्री से भरे छह C-130 हरक्यूलिस एयरक्रॉफ्ट लैंड होना बहुत कुछ कह रहा है। ये हरक्यूलिस एयरक्रॉफ्ट, चीन के अलावा तुर्की के बताए जा रहे हैं। युद्ध सामग्री से भरे इन कैरियर विमानों से पाकिस्तान को यह मदद तब आई जब हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को घातक जेएफ-17 मिसाइलें पहुंचाई हैं। चर्चा है कि पाक की रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तुर्की व चीन ने सैन्य ड्रोन प्रदान किए हैं। निडरता देखिए कि तुर्की व पाकिस्तानी दोनों ने सैन्य सामग्री के हस्तांतरण की पुष्टि की है।
सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि दक्षिण एशिया में एक नया सैन्य शक्ति गठबंधन बन रहा है। पाकिस्तानी वायु सेना तेजी से सक्रिय हुई है और उसने पेन्सी, स्कार्दू व स्वात सहित अपने सभी हवाई ठिकानों को सक्रिय कर दिया है। वर्तमान में इन ठिकानों पर एफ-16, जे-10 और जेएफ-17 लड़ाकू जेट तैनात कर दिए गये हैं। यही नहीं, पाकिस्तान एयर फोर्स को चीन से अत्याधुनिक PL-15 लंबी दूरी कि एयर-टू-एयर मिसाइल की पहली खेप मिल चुकी है। पाक वायुसेना ने अपनी नई JF-17 Block III फाइटर जेट की तस्वीरें तक जारी कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। जबकि "माई डियर फ्रेंड" अमेरिका एक "कुशल लोमड़ी" की भूमिका में है। मा"ई डियर फ्रेंड" का बयान है हम तो दोनों तरफ हैं और उधर भारत का विश्वनीय दोस्त रूस भी, पैंडुलम की तरह हिलते-डुलते नेतृत्व से बेहद कन्फ्यूजन की स्थिति में हैं। इधर भारतीय नेतृत्व को जब भी एक सम्प्रभु राष्ट्र के रूप में अपने को सामने रखना चाहिए था, उसमें वह पूरी तरह से विफल रहा। माई डियर फ्रेंड के ट्रीटमेंट ने भारत को वैश्विक स्तर पर अपमानित किया है। हथकड़ी लगाकर सैन्य विमान से भारतियों को डिपोर्ट करना और भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया तक न जाना, चुपचाप बढ़े हुए टेरिफ को स्वीकार कर लेना और कुछ न कहना, चीन द्वारा सीमाओं के अतिक्रमण पर एक बार भी नेतृत्व का मुंह तक न खुलना..!! एक सम्प्रभु राष्ट्र की पहचान नहीं हो सकती ...!! उस पर देश के भीतर आन्तरिक स्तर पर धार्मिक व जातीय उन्माद, अत्याचार व हिंसा ने भारत को बहुत कमजोर किया है।
अर्थव्यवस्था को मीडिया ने साइकिल वाले पंप से फुला रखा है जबकि रूपए की हालत सामने है। टैक्सों का पंपिंग सेट लगाकर जनता को चूसना और चंद पूंजीपतियों को स्थापित करने के पागलपन ने इस देश को बहुत गहरे नुकसान पहुंचाया है। नतीजा आप के सामने है... अगर आप देखना -समझना चाहते हैं तो समझें... वरना यह भी खालिस एक लेख है इससे ज्यादा यह कुछ नहीं है..
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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