सर्वोच्च न्यायालय के इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनाए निर्णय से किसान आंदोलन को मिली नई ऊर्जा : अखिलेश

 सर्वोच्च न्यायालय के इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनाए निर्णय से किसान आंदोलन को मिली नई ऊर्जा : अखिलेश

लखनऊ । समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया (एक्स) अकाउंट से इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगाए जाने पर सही ठहराते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने किसानों के लिए अपने संदेश में लिखा कि कोर्ट का फैसला किसान आंदोलन में एक नई ऊर्जा देने वाला है।

अखिलेश ने अपने पोस्ट में लिखा कि प्रिय किसान-मजदूर भाइयों। 'इलेक्टोरल बॉन्ड' को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किये जाने से किसान आंदोलन के अंदर एक नई ऊर्जा आई है क्योंकि इन तथाकथित राजनीतिक चंदों के नाम पर जो लोग पिछले दरवाजे से भाजपा की हथेली गरम करके खेती-किसानी से जुड़े कारोबारों पर कब्जा करके अपना व्यापारिक स्वार्थ साधना चाहते थे,अब वो भाजपा को चंदा नहीं देंगे। भाजपा पैसे के लालच में गांव,गरीब,किसान,मज़दूर का जो हक मार रही थी, वो सब अब धीरे-धीरे खत्म होगा।

उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि अब ये बात किसानों-मजदूरों व भाजपा विरोधी लोगों द्वारा देश के हर गाँव,गली,मोहल्ले तक पहुंचनी चाहिए कि 'भाजपा' कैसे अमीरों से पैसे लेकर आम जनता के ख़िलाफ़ साज़िश रचती है और भावनात्मक रूप से भोली-भाली आम जनता का शोषण करके अपना उल्लू सीधा करती है। पैसे लेकर सवाल पूछने के झूठे आरोपों पर जब किसी सांसद की सदस्यता जा सकती है, तो पैसे लेकर किसान-मजदूर विरोधी नीतियां बनाने पर तो भाजपा के सभी सांसदों की सामूहिक सदस्यता चली जानी चाहिए। अखिलेश यादव ने लिखा है कि 'दाने बाँटकर खेत लूटनेवाली भाजपा' का मुखौटा अब उतर गया है। जनता जीतेगी, भाजपा हारेगी! हम सब साथ हैं।

अखिलेश यादव ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी गुरदासपुर के सरदार ज्ञान सिंह की मौत को बेहद दुखद बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भाजपा से इलेक्टोरल बॉन्ड के साथ-साथ किसान आंदोलन में हुई किसानों की मौत का हिसाब भी मांगे। जीवन देनेवाले,जीवन लेनेवाले लोगों का अब अंत समय आ गया है।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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