लखनऊ आरटीओ को लेकर मुख्यालय से शासन तक कशमकश!

31 दिसंबर को रिटायर हुए रामफेर द्विवेदी, आरटीओ प्रवर्तन देख रहे कार्य

लखनऊ आरटीओ को लेकर मुख्यालय से शासन तक कशमकश!

  • लखनऊ आरटीओ का चार्ज अस्थायी देने की चल रही तैयारी, चर्चा जोरों पर
  • मुख्यालय से शासन को गया दो आरटीओ का नाम, अब तक नहीं रहा अस्थायी चार्ज
रवि गुप्ता
लखनऊ। कड़ाके की ऐसी ठंड में लखनऊ आरटीओ के चार्ज को लेकर बीते कुछ दिनों से परिवहन आयुक्त कार्यालय से लेकर शासन और यहां तक कि अन्य संभागीय परिवहन कार्यालयों में भी माहौल काफी गरमाया हुआ है। बता दें कि रामफेर द्विवेदी बीते 31 दिसंबर 2023 को रिटायर हो गये और उसके बाद से अभी तक लखनऊ आरटीओ प्रशासन का अतिरिक्त कार्य मौजूदा आरटीओ प्रवर्तन संदीप कुमार पंकज ही देख रहे हैं। ऐसे में यह सवाल तमाम विभागीय अधिकारियों व कर्मियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर लखनऊ जैसे अति महत्वपूर्ण परिवहन संभाग में सबसे अहम आरटीओ प्रशासन के पद पर नवनियुक्ति को लेकर इतनी देरी क्यों की जा रही है। परिवहन विभाग मुख्यालय पर तो दबे जुबां यह भी चर्चा है कि मुख्यालय से दो आरटीओ के प्रस्तावित नाम शासन को भेज दिये गये हैं जिसके तहत पहला आगरा और दूसरा लखनऊ आरटीओ प्रशासन के लिये है। ऐसे में विभागीय मंत्री की संस्तुति मिलने के बाद ही दोनों रिक्त जगहों को भर दिया जायेगा।
 
मगर इसमें जो सबसे बड़ी पेंच फंसती प्रतीत हो रही, वो यह है कि उपरोक्त प्रस्तावित नाम फिलहाल लखनऊ आरटीओ प्रशासन के अस्थायी चार्ज के लिये भेजे गये हैं। वहीं शासन से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो चंूकि, इस समय कोई तबादला सत्र नहीं चल रहा और ऐसे मध्यकाल में लखनऊ आरटीओ प्रशासन पद पर नवनियुक्ति करने के पहले नियमत: सीएम योगी तक संबंधित फाइल भेजनी होगी। इसके विपरीत परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह किसी भी स्थिति में ऐसी कोई भी फाइल सीएम कार्यालय तक नहीं भेजना चाहते हैं। इन्हीं पहलुओं पर गौर करते हुए लखनऊ आरटीओ के लिये अस्थायी चार्ज का रास्ता निकाला जा रहा है। जबकि विभागीय जानकारों की मानें तो अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है कि राजधानी लखनऊ जैसे अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील संभागीय परिवहन क्षेत्र में आरटीओ प्रशासन का पद अस्थायी तौर पर किसी को दिया जाये।
 
इसी क्रम में विभाग से सेवानिवृत्त हुए कुछ अधिकारियों की मानें तो मौजूदा काल में लखनऊ आरटीओ प्रशासन का पद काफी अहम व जिम्मेदारियों से भरा है। इनके अनुसार एक तो श्री राम  प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तहत जितने भी वीआईपी-वीवीआईपी मूवमेंट अयोध्या के लिये होंगे उसमें से अधिकांश लखनऊ होकर ही निकाले जायेंगे तो इन परिस्थितियों में लखनऊ आरटीओ प्रशासन को पुलिस कमिश्नरेट, जिला व नगर प्रशासन के साथ सटीक समन्वय के अलावा शासन स्तर पर भी काफी अलर्ट रहना पड़ता है।
 
अब वहीं यह पद किसी के पास अस्थायी तौर पर होगा तो वो अधिकारी न तो मन लगाकर काम कर सकेगा और न ही फील्ड पर अन्य संबंधित विभागीय टीम पर उसका कोई दबाव बन पायेगा, क्योंकि उसके विभागीय अधिकार भी सीमित होंगे। वैसे बता दें कि लखनऊ संभाग में टीपीनगर आरटीओ कार्यालय, एआरटीओ देवां रोड, रायबरेली एआरटीओ, सीतापुर एआरटीओ, हरदोई एआरटीओ, लखीमपुर खीरी एआरटीओ, उन्नाव एआरटीओ जैसा इतना व्यापक परिवहन क्षेत्र आता है।

क्या बोले जानकार...!
 
लखनऊ मात्र एक जिला नहीं है बल्कि सूबे की राजधानी है। ऐसे में लखनऊ में अस्थाई आरटीओ प्रशासन की नियुक्ति वो भी ऐसे समय में यदि होती है जब 22 जनवरी को लेकर तकरीबन सात से आठ हजार वीवीआई लोगों का आगमन होना है, समझ से परे है। यहां तो स्थाई तौर पर आरटीओ के पोस्टिंग की जरूरत है जो शासन-प्रशासन के साथ तालमेल बिठा सके। वैसे यदि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के संज्ञान में ऐसा कुछ है तो उन्हें तत्काल रूप से ऐसे निर्णय से बचना चाहिये और सरकार हित और जनहित के मद्देनजर तत्काल संबंधित फाइल सीएम कार्यालय भेजकर वहां से संस्तुति कराते हुए लखनऊ आरटीओ पद पर स्थाई चार्ज का रास्ता साफ कर देना चाहिये।
 
                              -: कर्मबीर त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार राज्य मुख्यालय 
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