आज मनेगी दीवाली, कूद पड़े थे राम मंदिर आंदोलन में,
जेल से जो खत भेजे, उन्हें पढ़कर परिजनों की आंखों में छलक पड़े आंसू,
By Harshit
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- उन्नाव के बदरका के मूल निवासी हरी दीक्षित, प्रखर हिन्दू नेता अशोक सिंघल व विनय कटियार के आवाहन पर अयोध्या कूच को निकले थे,
मनीष तिवारी
उन्नाव। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आजाद की जन्मस्थली बदरका में लोगों का ग़जब का उत्साह है। हर तरफ राम नाम की धुन के बीच रामभक्त इस दिन को भक्तिभाव में डुबोने की तैयारी कर चुके है। जिन रामभक्तों ने उस वक्त पर आंदोलन में सहभागिता निभाई और आज अपने परिजनों के बीच नही है, उन्हें खुश करने के लिए परिवार जनों ने तमाम आयोजनों की तैयारियां पूरी की है। बदरका के मूल निवासी हिन्दू नेता स्व. हरी दीक्षित के भतीजे सागर बताते है कि तब राम नाम लेना भी अपराध था, इसी अपराध में प्रखर हिन्दू नेता को जेल में रहना पड़ा। कई कई दिन तक उन्हें भोजन के लिए इधर- उधर भटकना पड़ा। अब राम मंदिर का निर्माण उन स्मृतियों को दोबारा जीवित कर रही है। वह जहां भी होंगे, राम मय माहौल को देखककर खुश जरूर होंगे।
पत्र: सौगंध राम की खाते है, मंदिर वही बनायेगे:
उन्नाव जिले की मूल निवासी आंदोलन में सहभागी बने स्व. हरी दीक्षित वर्ष 1986 के वक्त पर कानपुर की छावनी विधान सभा से चुनाव लड़े थे। इसके बाद वीएचपी ने जिला कार्याध्यक्ष का जिम्मा सौपा गया। 1990 से 1992 के बीच आंदोलन छिड़ा तो विनय कटियार और अशोक सिंघल के एक आवाज पर वह जत्थे के साथ अयोध्या को रावाना हुए थे। रास्ते में ही उन्हें गिरफ्तार किया गया। जेल में 18 दिन रहने के दौरान उनके साथी के रूप में विनय कटियार भी मौजूद थे।
जेल से ही हरी ने पिता, पत्नी, बेटी और भाई के नाम पत्र भेजे और राम के नाम पर जेल जाना सौभाग्य बताया था। हरी दीक्षित अब हम सभी के बीच नही है, लेकिन अक्टूबर 1990 में लिखे उनके पत्र लोग पढ़कर भावुक हो रहे है। उनके भतीजे सागर दीक्षित के मुताबिक उन्होंने अपने खत में राम नाम पर जेल जाना सौभाग्य बताया था। आज वह नही है तो उनकी स्मृतियां यादकर आंखों से आंसू टपक जाते है।
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