एक्स-रे का हर धब्बा टीबी नहीं होता: डॉ. सूर्यकान्त
यूपी और उत्तराखंड के चिकित्सकों को रोगियों के बेहतर इलाज के लिए दिया प्रशिक्षण
लखनऊ। जेबीएस फाउंडेशन द्वारा ऑर्बिट नेक्स्ट कार्यक्रम के तहत अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में एक प्रदेश स्तरीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य प्रदेश के चिकित्सकों को प्रमुख बीमारियों के बारे में आधुनिक जानकारी देना और रोगियों को जल्दी ठीक करने के तरीके बताना था। जेबीएस फाउंडेशन पिछले 15 वर्षों से ऐसी कॉन्फ्रेंस का आयोजन करती आ रही है साथ ही साथ स्कूल हेल्थ चेकअप, बच्चों का निशुल्क स्वास्थ्य जांच और समाज के निम्न वर्ग को बीमारियों में सहयोग करना जैसे सामाजिक कार्य भी शामिल है।
जेबीएस फाउंडेशन की अध्यक्षा प्रीतिकान्त ने बताया कि फाउंडेशन का उद्देश्य समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना और बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि एक्स-रे में टीबी के धब्बे दिखने पर भी अन्य बीमारियों की जांच करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि फेफड़ों का कैंसर, निमोनिया, ट्रॉपिकल पल्मोनरी, स्नोफ़िलिया आदि बीमारियां भी एक्स- रे में टीबी जैसे धब्बे पैदा कर सकती हैं।
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक चंद्रा ने बुखार के कारणों और उपचार पर चर्चा की, केजीएमयू के ही न्यूरोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल अग्रवाल ने बेहोशी की हालत में मरीज का कारण पता लगाने के तरीके बताए, और केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. कौसर उस्मान ने बुजुर्गों में होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
सजीपीजीआई के डॉ. गौरव पांडे ने फैटी लिवर के कारण और निवारण पर जानकारी दी, केजीएमयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ. नरसिंह वर्मा ने डायबिटीज और हाइपरटेंशन के इलाज के बारे में बताया, लोहिया संस्थान के डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने हार्ट अटैक के लक्षण और प्राथमिक उपचार के बारे में बताया, और केजीएमयू के पूर्व प्रोफेसर वी लोहिया संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने एनीमिया के बारे में विस्तार से चर्चा की।
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