आबकारी: पद्मासन मुद्रा में अधिकारी, शीर्षासन करते अनुज्ञापी!
जनवरी बीतने को, अभी तक लागू नहीं वर्ष 2025-26 की नई आबकारी नीति
रवि गुप्ता
- आगामी मार्च से शुरू होगा नया वित्तीय वर्ष, ई-लॉटरी या रिनुअल पर बना सस्पेंस
- पुराने लाइसेंसियों की मांग हो रिनुअल, सोशल मीडिया पर लेटर भेज सीएम से गुहार
- लखनऊ शराब वेलफेयर एसो. का तर्क, कोरोना में दिया अतिरिक्त कर, अब संभाले सरकार
- फील्ड अफसरों से पूछ रहे शराब कारोबारी, कुछ तो बताइये क्या करेगा आबकारी
लखनऊ। राजधानी लखनऊ से सटे एक जनपद के देशी शराब के लाइसेंसी ने जैसे ही अपने मोबाइल पर यह देखा कि ‘शराब की दुकानों की नहीं होगी नीलामी, 28 फरवरी से पहले अनुज्ञापी दुकानों का करायें नवीनीकरण, आबकारी आयुक्त ने 26 जनवरी को जारी आदेश में कहा है कि वर्ष 2025-26’ के लिये शराब की दुकानों की लॉटरी नहीं होगी। अनुज्ञापी अपनी दुकानों के लिये नवीनीकरण 28 फरवरी से पहले पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं’...इतना देखना ही था कि उक्त अनुज्ञापी हड़बड़ा गया और लगा यहां-वहां पूछताछ करने, ऐसे में उसने आबकारी विभाग के कई फील्ड इंस्पेक्टरों से बात की, क्या उक्त मैसेज सही है...बहरहाल काफी देर बाद पता लगा सका कि ये फेक मैसेज चल रहा है।
खैर, यह तो एक बानगी भर है...लेकिन बीते कई दिनों से कुछ इसी तरह की फेक, संदेहास्पद खबरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं, जिनमें कभी आबकारी विभाग के खासकर फील्ड से जुडेÞ अफसर व उनके सहयोगी कर्मी डुबकी लगा रह हैं तो कभी अनुज्ञापी-लाइसेंसी गोता लगा रहे हैं...मगर हकीकत यह है कि इन दोनों के हाथ कुछ सटीक नहीं लग रहा। अब तो विभागीय अफसरों और अनुज्ञापियों के बीच पद्मासन और शीर्षासन मुद्रा का खेल चल रहा है, पहले वालों से कुछ पूछा जाता है तो वो एक मुद्रा में चुप्पी साधे हुए हैं जोकि उनकी मजबूरी है...जबकि लाइसेंसी लगातार सीएम, आबकारी मंत्री, प्रमुख सचिव, आबकारी आयुक्त से लेकर हर प्रकार का शीर्षासन कर रहे हैं ताकि ई-लॉटरी और रिनुअल के बीच बना सस्पेंस खत्म हो।
वहीं स्थिति यह है कि जनवरी माह बीतने वाला है, और वर्ष 2025-26 के लिये नई आबकारी नीति (न्यू एक्साइज पॉलिसी) अभी तक लागू नहीं हो पायी है, जिसका असर यह पड़ रहा है कि जो पुराने लाईसेंसी लाखों-करोड़ों रुपये लगाकर अभी तक मदिरा दुकानें चला रहे थे, आगे किसी नियम के तहत उन्हें कारोबार करना है इसकी तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पायी है। ऐसे में आगामी मार्च के साथ ही नये वित्तीय वर्ष का पहला माह शुरू हो जायेगा और फिर न्यू पॉलिसी के अनुसार ही कोटा उठान और राजस्व निर्धारित किया जायेगा।
जानकारी के तहत पूरे प्रदेश में तकरीबन 31 हजार देसी-विदेशी, बीयर आदि के फुटकर शराब कारोबारी हैं, जिसमें से अकेले राजधानी लखनऊ जनपदीय क्षेत्र में ही 1100 के करीब अनुज्ञापियों की संख्या है। कुछ अनुज्ञापियों का कहना रहा कि जब उनके आगामी शराब कारोबार करने का आधार ही नहीं तय हो पाया तो फिर ऐसे में वो अपने यहां वर्षों से लगे सेल्समैन व अन्य सहयोगी कर्मियों की नौकरी को लेकर क्या कहें...समझ से परे है।
माननीय जी व्यस्त हैं, राज्य पर भारी होता कैबिनेट मंत्री!
वहीं विभाग से जुड़े ऐसे अहम निर्णय या इससे जुड़े गतिविधियों को लेकर तरूणमित्र टीम ने मौजूदा आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के मोबाइल पर वर्किंग ऑवर में कॉल किया तो कुछ देर बाद कॉल उठा, मगर स्टॉफ ने बोला कि माननीय जी कहीं मीटिंग में व्यस्त हैं, एक घंटे बाद बात होगी जबकि उन्हें बताया गया कि विभाग से जुड़ा एक अहम प्रकरण है, जिस पर मंत्री से बात करना जरूरी है।
इससे इतर आबकारी विभाग व शराब कारोबार से जुड़े जानकारों का मत लिया गया तो उनका यही कहना रहा कि, दरअसल सारा असर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाम कैबिनेट मंत्री स्तर का है...चूंकि इससे पहले विभाग के मंत्री कैबिनेट स्तर के थे, तो ऐसे अहम मुद्दे पर वो खुद सीएम योगी से वार्ता कर लेते थे...मगर चूंकि यहां मामला राज्य मंत्री स्तर का है तो मौजूदा माननीय जी, चाहकर भी अपने विभाग से संबंधित ऐसे अहम विषय को सूबे के मुखिया के समक्ष नहीं उठा पा रहे हैं। आगे यह भी बताया गया कि वैसे भी जब तक कैबिनेट का अप्रूवल नहीं मिलेगा तब तक किसी भी स्थिति में नई आबकारी नीति लागू नहीं हो सकती है।
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