महाकुंभ: संगम में उतरा रहा ‘जल परिवहन’ का भ्रष्टाचार!
त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगवाने का चल रहा मनमाना खेल
रवि गुप्ता
- नाव का प्रति व्यक्ति सरकारी रेट 75-120, वसूल रहे कई हजार रुपये
- अरैल और त्रिवेणी घाट से संगम तक नावों (बोट) का हो रहा संचालन
- जल परिवहन को ले परिवहन विभाग का रोडमैप तैयार, फोकस में प्रयागराज-बनारस
- परिवहन मंत्री कोलकाता से महाराष्ट्र तक कर चुके यात्रायें, महाकुंभ से अनजान
लखनऊ। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है...फिलहाल कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप में महाकुुंभ क्षेत्र में एक अलग तरह का जल परिवहन का भ्रष्टाचार खुल्लमखुल्ला उतराता हुआ प्रतीत हो रहा, जैसा कि वॉयरल हुए एक न्यूज़ वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा। तो क्या यह माना जाये कि दशकों पूर्व लोक कवि अदम गोंडवी की उपरोक्त लिखी पंक्तियां अब सूबे में परिवहन विभाग द्वारा तैयार किये जा रहे जल परिवहन सुविधा की वृहद मंशा पर सवाल खड़े करती है, क्योंकि जब घर में ही अंधेरा हो तो फिर बाहर उजाला करने से क्या फायदा।
प्रयागराज से बनारस होते हुए पश्चिम बंगाल के हल्दिया घाट तक गंगा की लहरों पर ‘अन्तर्राज्यीय जल परिवहन सेवा’ शुरू करने को लेकर भले ही यूपी का परिवहन विभाग काफी मशक्कत कर रहा हो, तमाम फाइलें व एसओपी बनाई और तैयार की गई हो, जल परिवहन प्राधिकरण का गठन किया गया हो, संबंधित संभाग का जल परिवहन अधिकारी वहां का संबंधित आरटीओ होगा, ऐसा प्रस्ताव बनाया गया हो...मगर जब महाकुंभ क्षेत्र में प्रवाहित उसी प्रवाहमान पावन जल पर प्राइवेट नावों-नाविकों द्वारा दूरदराज से आने-जाने वाले श्रद्धालुओं से संगम में एक अदद डुबकी लगवाने के नाम पर कई-कई हजार रुपये का मनमाना खेल चल रहा हो...तो परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का मौन, इस मामले में परिवहन विभाग की संवेदनहीनता, संगम में डुबकी लगाने कई देश व राज्य की सीमाओं को पार करके व मीलों तय करके आये उन स्नानार्थियों की पीड़ा को कुरेदने के लिये काफी है, जो उत्तर प्रदेश में संभवत: ‘जल परिवहन सेवा’ नामक सरकारी चिड़िया से कहीं न कहीं अनजान हैं।
वैसे बता दें कि जो न्यूज वीडियो वॉयरल हुई है, उसमें यह दिख रहा है कि श्रद्धालुओं से संगम में डुबकी के नाम पर सरकारी रेट से कहीं अधिक कई हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। जबकि जानकारी के तहत संगम जल में संचालित ऐसे नावों पर सरकारी रेट प्रति व्यक्ति 75 से लेकर 120 रुपये प्रति व्यक्ति है, और अरैल व त्रिवेणी घाट से संगम तक बोटों का संचालन चल रहा है। ऐसे में जब तरूणमित्र टीम ने कुछ स्नानार्थियों से बातचीत की तो उनका यही कहना रहा कि भईया, श्रद्धा के नाम पर महाकुुंभ जैसे अति पावन स्थल पर ऐसी लूट नहीं होनी चाहिये, ऐसे में यदि सरकारी रेट तय हो तो यहां के स्थानीय प्रशासन या फिर संबंधित विभाग को नावों के किराये को लेकर मॉनीटरिंग करनी चाहिये।
बहरहाल, जब इस प्रकरण को लेकर तरूणमित्र टीम ने परिवहन मंत्री को क्रमवार कई बार कॉल किया तो उनका फोन या तो व्यस्त रहा या फिर नेटवर्क की पहुंच से दूर की आवाजें आती रहीं। यही नहीं अन्तर्राज्यीय जल परिवहन प्राधिकरण को लेकर टेहरी कोठी स्थित परिवहन आयुक्त कार्यालय पर बकायदा एक स्पेशल सेल भी है, जिसके लिये मुख्यालय के अधिकारियों की तैनाती भी है...मगर वही है जब तक घर का मुखिया यानी परिवहन मंत्री खुद उपरोक्त प्रकरण को लेकर कोई ठोस पहल नहीं करते हैं तो फिर अफसरों को क्या पड़ी...। हां इतना जरूर है कि माननीय मंत्री, जल परिवहन सेवा को लेकर पूर्व में विभागीय अधिकारियों के दल के साथ इंटर स्टेट वॉटर ट्रांसपोर्ट सविर्सेज के मर्म को समझने के लिये महाराष्ट्र तो कहीं कोलकाता तक की यात्रायें कर चुके हैं, जोकि एक तरह से जल परिवहन के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं।
...तो अभी तक जल पुलिस की जिम्मेदारी !
वहीं उक्त मुद्दे पर परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों ने दबे जुबां यही मत रखा कि भले ही जल परिवहन सेवा को लेकर उनका विभाग तैयारी कर रहा है, मगर अभी तक उसके क्रियान्वयन में कई जमीनी काम होने बाकी हैं, जैसे जल परिवहन के लिये अतिरिक्त नियुक्तियां, किसकी जवाबदेही होगी तय, कब होगी अधिसूचना जारी...वगैरह, वगैरह। आगे बताया कि ऐसे में अभी तक जल पुलिस की टीम ही संगम क्षेत्र में नावों (बोटों) के दैनिक संचालन और उससे जुड़े किराये-फेयर आदि के काम देख रही है जोकि सिविल पुलिस का ही हिस्सा होता है।
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