लखनऊ से पकड़े गए 230 किलो के बाघ को आया होश

BKT रेंज कार्यालय में चल रहा इलाज, भेजा जाएगा दुधवा टाइगर रिजर्व

लखनऊ से पकड़े गए 230 किलो के बाघ को आया होश

लखनऊ : तीन महीने से वन विभाग की टीम को चकमा दे रहा बाघ बुधवार को पकड़ लिया गया. बाघ को दुधवा टाइगर रिजर्व में पहुंचाया जाएगा. उसे होश आ चुका है. बीकेटी रेंज कार्यालय में उसका इलाज चल रहा है. वहीं वनमंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने वनकर्मियों को बधाई दी है. उन्होंने कर्मचारियों की मेहनत की सराहना की.
 
डीएफओ सीतांशु पांडेय ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने 5 जगहों पर AI थर्मल सेंसर कैमरे लगाए थे. 3 थर्मल ड्रोन से घेराबंदी की गई. बुधवार को AI कैमरे से अलर्ट मिलते ही टीम मौके पर पहुंची. बाघ झाड़ियों में छिपा था. बाघ को पकड़ने के लिए बेंगलुरु से विशेषज्ञ डॉक्टरों को बुलाया गया था. वह AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरों के जरिए बाघ के मूवमेंट को ट्रैक कर रहे थे.
 
बुधवार सुबह बाघ ने जोन-2 के मीठेनगर गांव में एक गाय का शिकार किया. शाम करीब 6:30 बजे बाघ के दोबारा लौटने की सूचना वन विभाग को मिली. बाघ AI कैमरे में कैद हो गया था. विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंची ट्रैंकुलाइजर गन से पहला डॉट लगने के बावजूद वह बेहोश नहीं हुआ. वनकर्मियों को देखकर आक्रामक हो गया.
 
डॉक्टर दक्ष और डॉक्टर नासिर ने घेराबंदी कर करीब 500 मीटर तक पीछा किया. निशाना बनाकर दूसरी डॉट चलाई. इसके बाद बाघ बेहोश होकर गिर पड़ा. डीएफओ ने बताया कि बाघ करीब 230 किलो वजनी है. वह करीब 3 से 4 साल का है. बाघ को बख्शी का तालाब रेंज कार्यालय लाया गया है. यहां वन्यजीव चिकित्सकों की टीम उसका इलाज कर रही है.
 
वनमंत्री ने वनकर्मियों को दी बधाई
उसे होश आ चुका है. अब उसे दुधवा पहुंचा दिया जाएगा. वहीं वनमंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने बाघ को रेस्क्यू करने पर वन विभाग की टीम को बधाई दी है. वीडियो जारी कर कहा कि रहमानखेड़ा में 3 महीने से टाइगर ने आतंक फैला रखा था. उसे रेस्क्यू कर लिया गया. इसके लिए वन विभाग के सभी कर्मचारियों को बधाई. यह सब सीएम योगी के कुशल नेतृत्व में मुमकिन हो सका. टाइगर को हमने जिंदा पकड़ा. टाइगर ने किसी आदमी पर अटैक नहीं किया.
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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