छह में से पांच राजघरानों के उम्मीदवार जीते, पूर्व मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह हारे

छह में से पांच राजघरानों के उम्मीदवार जीते, पूर्व मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह हारे

जयपुर। रियासतकाल में जिस तरह से राजपरिवारों की आमजन में धमक रहती थी, वैसी ही धमक राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी इन परिवारों की बरकरार है। राजनीतिक दलों की ओर से पूर्व राजघरानों पर खेला जाने वाला दांव इस चुनाव में भी कामयाब हुआ है। विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने 6 राजघरानों से उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से पांच उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं, जबकि कांग्रेस के टिकट पर डीग-कुम्हेर से उतारा गया एक उम्मीदवार चुनाव हार गया है। इनमें झालावाड़ से पूर्व उप मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, जयपुर की विद्याधरनगर से दीयाकुमारी, बीकानेर पूर्व से सिद्धिकुमारी, नाथद्वारा से विश्वराज सिंह और कोटा के लाड़पुरा से कल्पना देवी चुनाव जीत चुकी हैं। जबकि, डीग-कुम्हेर से कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री और तीन बार विधायक व तीन बार सांसद रहे विश्वेंद्र सिंह चुनाव हार गए हैं।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व झालरापाटन से भाजपा प्रत्याशी वसुंधरा राजे ने बड़े अंतर से कांग्रेस के रामलाल चौहान को चुनाव हरा दिया है। झालरापाटन हाड़ौती की सबसे हॉट सीट मानी जा रही थी, क्योंकि यहां से वसुंधरा राजे मैदान में थीं। खास बात ये रही कि राजे ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाए हुए थीं, जो आखिरी राउंड तक कायम रही। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल चौहान को 53193 मतों के अंतर से पराजित किया है। राजे को कुल 138831 वोट मिले तो कांग्रेस प्रत्याशी को 85638 मत हासिल हुए। इस बार के चुनाव में भाजपा ने सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी। बावजूद इसके प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जादू चला। वसुंधरा राजे धौलपुर के पूर्व राजपरिवार की वसुंधरा राजे ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की बेटी हैं। उनकी मां स्व. विजयाराजे सिंधिया जनसंघ और भाजपा का प्रमुख चेहरा थीं। उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके भतीजे हैं।

जयपुर की विद्याधरनगर सीट से भाजपा की दीया कुमारी ने बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने 71 हजार 368 वोट से कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को हराया। वे इससे पहले सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। जयपुर पूर्व राजघराने की राजमाता स्व. गायत्री देवी भी दो बार सांसद रह चुकी हैं। दीया के पिता स्व. भवानी सिंह ने भी चुनाव लड़ा था। बीकानेर पूर्व विधानसभा सीट से 25 वर्षों तक बीकानेर के सांसद रहे पूर्व महाराजा स्व. करणी सिंह की पोती पूर्व राजकुमारी सिद्धि कुमारी लगातार तीन बार से भाजपा विधायक हैं और अब एक बार फिर से वे बीकानेर पूर्व से मैदान में आ गई। वे चुनाव जीत चुकी है। उन्होंने इस बार कांग्रेस के यशपाल गहलोत को पराजित किया है। उदयपुर का पूर्व राजपरिवार भी 25 साल बाद चुनाव मैदान में है। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ ने नाथद्वारा से पहली बार चुनाव लड़ा और बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत लिया। करीब तीन दशक पूर्व विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह राजनीति में सक्रिय थे। विश्वराज सिंह विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के सामने चुनाव में उतरे थे। उन्होंने नाथद्वारा सीट पर जोशी को बड़े अंतर से हराया है। कोटा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य कल्पना देवी लाडपुरा से मौजूदा विधायक हैं और एक बार फिर मैदान में उतर गई। उनके सामने कांग्रेस ने नईमुद्दीन गुड्डू को उतारा। कल्पना देवी यहां से चुनाव जीत गई हैं। राजस्थान सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके विश्वेंद्र सिंह भरतपुर के पूर्व राजघराने के हैं। डीग-कुम्हेर से कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह, तीन बार विधायक और तीन बार सांसद रहे। विश्वेंद्र सिंह 8479 वोटों से चुनाव हार गए।

 

 

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