मंडप सजा कर हुई तुलसी पूजा, बच्चों ने की आतिशबाजी,

मंडप सजा कर हुई तुलसी पूजा, बच्चों ने की आतिशबाजी,

धमतरी।छोटी दीवाली देवउठनी एकादशी पर शहर में जमकर खरीद-बिक्री हुई। गुरुवार 23 नवम्बर को गांव तथा शहर के लोगों के कारण शहर के मुख्य मार्ग बाजार में भीड़ रही। सिहावा चौक, प्रशांत टॉकीज के पास, मकई चौक, शनि मंदिर, रत्नाबांधा चौक, अंबेडकर चौक सहित कई स्थानों पर देर शाम तक गन्ना बिकते रहा। शाम को घर घर में विधि विधान से तुलसी पूजा हुई घर आंगन में दीप जलाए गए। बच्चों और युवाओं ने आतिशबाजी की। देवउठनी एकादशी पर घर -घर में दिए जलाए गए। पश्चात तुलसी के पौधे के सामने गन्ना से मंडप सजाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पीले वस्त्र व पुष्प के साथ तुलसी विवाह की रस्म निभाई गई। भगवान को भोग लगाया गया। पूजा अर्चना के बाद व्रतधारियों ने अपना व्रत तोड़ा।

पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महीनों की नींद से जागते हैं। इसे देवोत्थापनी या देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी होती है।

सुबह 80 ,शाम को 30 रुपये जोड़ी
तुलसी विवाह में गन्ना से मंडप बनाने की पौराणिक मान्यता के चलते इस दिन घर घर में बनने से गन्ना से मंडप सजाया जाता है। शहर के प्रमुख चौक चौराहों के अलावा मुख्य बाजार में देर शाम तक गन्नों की बिक्री होती रही। बड़ी तादाद में इस बार गन्ना बिकने पहुंचा। दूरदराज से गन्ना बेचने पहुंचे विक्रेताओं ने देर शाम तक ग्राहकी की। सुबह के समय प्रति की जोड़ी गन्ना 80 रुपये में बिक रहा था, वहीं शाम को इसकी कीमत 30 से 40 रुपये जोड़ी हो गई। ग्राम सिवनीकला फिंगेश्वर से गन्ना बेचने आए गणेश राम साहू, जयंत साहू ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार गन्ने की फसल प्रभावित हुई है, इस कारण कम आवक हुई है।

आंवला, सिंघाड़ा, शकरकंद की रही मांग
आंवला, सिंघाड़ा, शकरकंद, कसही फल, फूल के अलावा अन्य पूजन सामग्री की जमकर बिक्री हुई। फूल विक्रेता कामनी बाई ने बताया कि पर्व विशेष में फल फूल की बिक्री होती है। तुलसी विवाह में इन सामग्रियों का विशेष महत्व है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय कम है, इसलिए लोग आसपास से सामान इकट्ठा करने की बजाय सीधे बाजार से ही खरीदी करते हैं। दीवाली में कमल फूल की खूब बिक्री हुई थी।

पटाखों की छोटी दुकानें सजी
छोटी दीवाली को धूमधाम से मनाने लोगों ने पटाखे भी खरीदे। शहर के चौक चौराहों में पटाखे की छोटी दुकानें भी सज गई। पटाखा विक्रेता राजकुमार साहू ने बताया कि लोग दीवाली में अधिक से अधिक संख्या में पटाखे खरीद लेते हैं। कुछ मात्रा में देवउठनी के लिए बचा कर रखते हैं।इसी के कारण देवउठनी में पटाखों की बिक्री कम होती है। दीवाली की तुलना में देवउठनी में कम पटाखे बिके हैं।

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