सेहत की चिंताः फैमिली चिकित्सक की तरह फैमिली किसान भी चाहिए!
-शुद्ध खानपान पर जा रहा लोगों का ध्यान, आर्गेनिक उत्पादों की बढ रही मांग
-जनपद में 26 गांवों में कराई जा रही ऑर्गेनिक खेती, 1300 किसान का हुआ था चयन
मथुरा। सेहत को लेकर अब लोग चिंता करने लगे हैं। कोरोना काल के बाद लोगों की सोच में कई स्तरों पर परिवर्तन देखने को मिल रहा है। खानपान की शुद्धता को लेकर लोग सजग हो रहे हैं। बड़े शहरों के लोग अब गांवों में ऐसे किसान तलाश कर रहे हैं जो उन्हें ऑर्गेनिक विधि से उगाये गये अनाज, आलू, दालें तथा इसी तरह के दूसरे खाद्य पदार्थ वर्ष भर के लिए उपलब्ध करा सकें। शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में तमाम वह लोग भी शादी समारोहों में शामिल होने के लिए गांव लौट रहे हैं जिनका गांवों की जिंदगी से वास्ता टूट गया है।
इस दौरान वह गांवों में अपने परिचित किसानों से ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद उन्हें उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं। इस बात चीत में कीमत बडी चिंता नहीं है। कोई अपने रिश्तेदारों को तो कोई गांव में रह रहे अपने परिजनों को भी इस बात के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है कि वह अपनी खेती के कुछ भाग में ऑर्गेनिक खेती करें और उन्हें उपज दें। आर्गेनिक खेती को मथुरा जनपद में अभी तक अपेक्षित प्रोत्साहन नहीं मिला है। अभी भी किसान ऑर्गेनिक खेती को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। जिसकी बड़ी वजह सही बाजार नहीं मिलना भी है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है कि वह ऑर्गेनिक खेती करें।
आर्गेनिक उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने से लेकर खेती करने के लिए प्रशिक्षण तक की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जनपद में करीब 1300 किसानों को इस बार ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है। 26 ग्राम पंचायतों में इन किसानों ने ऑर्गेनिक खेती करने के लिए रुचि दिखाई है। उप कृषि निदेशक ने बताया कि उनके द्वारा 26 ग्रामों में 50-50 किसानों का क्लस्टर बनाकर ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा शीघ्र ही उनका प्रशिक्षण भी कराया जायेगा। वहीं जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि 20 ग्रामों के 95 किसानों को उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित किया गया तथा उन्हें सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
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