फाइलेरिया से मुक्ति के लिए जागरुकता आवश्यक

जिले को फाइलेरिया बीमारी से मुक्ति दिलाने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है.  फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे  उसका गंभीर रूप दिखने लगता है. लेकिन इसकी नियमित रूप से उचित देखभाल किया जाए तो आसानी से इन जटिलताओं से बचा जा सकता है.इसे लेकर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पेशेंट नेटवर्क सदस्यों के द्वारा ग्रामीणों के बीच जाकर जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है. जिसका मुख्य उद्देश्य आमजनों को फाइलेरिया बीमारी से बचाव के प्रति जागरूक करना है.
 
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ सुषमा शरण ने बताया कि बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लिंफेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) को ही आम बोलचाल की भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है.हालांकि फाइलेरिया किसी की ज़िंदगी तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत समान अवश्य बना देता है. इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है. जिले में ऐसे मरीजों की संख्या 7616 है.अगर समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इससे छूटकारा पाया जा सकता है.स्वास्थ्य विभाग को अन्य सहयोगी संस्थाओं का सहयोग अपेक्षित है .वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) विपिन कुमार ने बताया कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव एवं सुरक्षित रहने के लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी होता है. क्योंकि जब तक हमलोग जागरूक नही होंगे तब तक किसी भी कार्य या बीमारी को जड़ से मिटा नहीं सकते हैं. इसके लिए जन-जागरूकता अभियान के साथ ही प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए सहयोगी संस्थाओं का सहयोग भी अपेक्षित है.हालांकि जिले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), पीरामल स्वास्थ्य एवं सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के अधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में अपेक्षा से अधिक सहयोग मिल रहा है. जिस कारण इस अभियान को मिटाने में हमलोगों का प्रदर्शन काफ़ी  संतोषजनक है.
 
 डीवीबीसी सलाहकार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार (डीवीबीसी) सलाहकार अमित कुमार ने बताया कि जिले में फ़िलहाल 7616 फाइलेरिया मरीजों की संख्या है.जिसमें बाया पैर के 4142, दाया पैर के 2469 वहीं बाया हाथ में 126 तो दाया हाथ में 65 मरीजों की शिनाख्त की गई है. हालांकि जिले के विभिन्न प्रखंडों की बात की जाए तो बैकुंठपुर में 972, सिधवलिया में 1060, बरौली में 1039, मांझा में 641, सदर प्रखंड में 357, कुचायकोट में 635, हथुआ में 461, थावे में 528, उचकागांव में 693, फुलवरिया में 238, भोरे में 559, कटेया में 113, पंचदेवरी में 214 जबकि विजयीपुर में 106 मरीज शामिल हैं.
 
 
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