गेहूं, राई/सरसों व आलू में लगने वाले कीट/रोगों से बचाव के सुझाव

गेहूं, राई/सरसों व आलू में लगने वाले कीट/रोगों से बचाव के सुझाव

रायबरेली। जिला कृषि रक्षा अधिकारी अखिलेश पाण्डेय ने जनपद कृषकों से रबी की प्रमुख फसलों मे गेंहू, राई/सरसों व आलू मे लगने वाले कीट/रोगो से बचाव हेतु सुझाव दिये है कि पीली गेरुई के लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों पर पीले रंग की धारी के रूप मे दिखाई देते है जिसे हाथ की उँगलियों से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी की 500 एमएल मात्र को 500-600 ली0 पानी मे घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।

रोग के प्रकोप तथा फैलाव की दशा मे दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए। फसल पर रसायन का छिड़काव वर्षा व कोहरे की स्थिति मे नहीं करना चाहिए।माहूँ कीट के नियंत्रण हेतु बताया है कि डाईमेथोएट 30 ईसी 1 ली0 अथवा आजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी की  2.00 ली0  मात्रा को 500-600 ली0 पानी मे घोलकर पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।

आलू की फसल मे झुलसा एवं माहूँ कीट के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2 किग्रा0 अथवा कापर ऑक्सीक्लोराइड 50प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.5 किग्रा0 तथा एमिडाक्लोप्रिड़ 17.8 प्रतिशत एसएल की 300 मिली0 की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से  600-800 लीटर पानी मे  घोलकर 10-15 दिन के अन्तराल पर पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा कि किसान भाई अपनी फसल मे कीट/रोग समस्या के निदान हेतु कृषि विभाग मे अपना पंजीकरण नम्बर अथवा अपना नाम, ग्राम का नाम, विकास खण्ड एवं जनपद का नाम अंकित कर मोबाइल नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर एस0एम0एस0 या व्हाट्सएप पर भेजें।

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