पत्रकारिता की नाक कटाने पर तुला 'गोदी मीडिया'

पत्रकारिता की नाक कटाने पर तुला 'गोदी मीडिया'

निर्मल रानी 
यदि आप गोदी मीडिया से जुड़े भोंपू टी वी चैनल्स पर टी आर पी केंद्रित चोंच लड़ाने व उत्तेजना पैदा करने वाली डिबेट देखें तो शायद ही कोई दिन ऐसा गुज़रता हो जिसदिन गोदी मीडिया के इन टी वी एंकर्स को किसी न किसी डिबेट के सहभागी या दर्शकगण के बीच बैठे किसे जागरूक व्यक्ति के हाथों घोर अपमान न सहना पड़ता हो। जनता के बीच तो यह लोग अब जाने से ही डरते हैं क्योंकि वहां भी कई बार इन्हें अपमानित होकर वापस आना पड़ा है। स्वयं के सेलेब्रेटी होने का भ्र्म  पाले ऐसे कई पत्रकारों को कई बार जनता धक्के देकर भगा चुकी है। आख़िर क्या कारण है कि पत्रकारिता जैसा पवित्र व ज़िम्मेदार पेशा अब इतना बदनाम हो गया है कि गोदी मीडिया से जुड़े वर्तमान भोंपू व पक्षपातपूर्ण एवं झूठी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों का बर्ताव व उनका मनोभाव देखकर लोग अपने बच्चों को पत्रकारिता सिखाने से परहेज़ करने लगे हैं ? 
 
आम लोग बड़े ही भरोसे के साथ टी वी देखते व पत्र पत्रिकाएं पढ़ते हैं। पत्रकारों का एक राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय नेटवर्क जगह जगह के ताज़ा हालात के बारे में अपने अपने मीडिया संस्थान को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ अवगत कराता है। इसी सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित कर देश दुनिया को किसी घटना की जानकारी दी जाती है। इसके अतिरिक्त मीडिया सरकार व समाज के दर्पण का भी काम करता है। सत्ता से उसकी नाकामियों पर सवाल पूछता है। परन्तु गत दस वर्षों से तो यही मीडिया न केवल सरकार का वफ़ादार भोंपू बन चुका है बल्कि उल्टे सत्ता से सवाल करने वालों को ही कटघरे में खड़ा कर रहा हे। यह सत्ता के बजाये विपक्ष से सवाल करने को ही पत्रकारिता समझता है। गोदी मीडिया सरे आम सांप्रदायिक एजेंडा परोसता है और देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने में अपनी मुख्य भूमिका अदा कर रहा है। 
 
पत्रकारिता को शर्मसार करने वाले ऐसे ही दलाल क़िस्म के पत्रकारों पर न जाने कितने मुक़द्द्मे चल चुके हैं और कई पर तो अभी भी चल रहे हैं। देश की अदालतें ऐसे टी वी चैनल्स व पत्रकारों को कई बार डाँट फटकार लगा चुकी हैं। अभी पिछले ही दिनों रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मानहानि का मामला दायर कर दिया। अर्नब गोस्वामी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रिपोर्टिंग के समय कांग्रेस पार्टी को “राष्ट्र के दुश्मनों के साथ खड़ी” होने वाली पार्टी बताकर कांग्रेस की छवि धूमिल करने की कोशिश की थी। रिपब्लिक टीवी वही न्यूज़ चैनल है जिसकी स्थापना मई 2017 में अर्नब गोस्वामी व भाजपा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने संयुक्त रूप से की थी। राजीव चंद्रशेखर उद्यमी होने के साथ साथ वर्तमान में भाजपा केरल के प्रदेश अध्यक्ष होने के अलावा पूर्व इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी , कौशल विकास,उद्यमिता व जल शक्ति मंत्रालय के राज्य मंत्री भी हैं। उधर अर्नब गोस्वामी की तारीफ़ यह है कि इन्हें 4 नवंबर 2020 को 53 साल के एक इंटीरियर डिज़ाइनर को आत्महत्या के लिये मजबूर करने के मामले में मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। इसके अलावा भी गोस्वामी के विरुद्ध कई आपराधिक और सिविल मामले दर्ज किए गए थे। इनमें मानहानि, उकसाने, ग़लत सूचना फैलाने और अन्य संबंधित आरोप शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुंह पर कालिख पोतने वाला ऐसा दाग़दार व्यक्ति अब यह प्रमाण पत्र बाँट रहा है कि कौन सा व्यक्ति व दल  राष्ट्र भक्त है और कौन राष्ट्र के दुश्मनों के साथ खड़ा है ? 
 
कुछ दिन पहले ऐसे ही किसी 'एजेंडा पत्रकार' ने पूरी पत्रकार बिरादरी को उस समय ज़लील किया जब उसने भारत की अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व निदेशक अमरजीत सिंह दुलत का साक्षात्कार किया और उस दौरान उसने दुलत से एक अप्रासंगिक प्रश्न पूछ लिया। उसने पुछा कि कुछ दिन पहले आप पाकिस्तान गए थे ? इस सवाल पर पहले तो दुलत ने पूछा की यह किसने बताया आपसे ? जवाब न मिलने के बाद वे खड़े हो गये और ---निकालो इसको साले को, हटा…बहन चो... को।   कौन? कौन साला हरामज़ादा बोल रहा था? कौन कुत्ता बोल रहा था? कौन था वो? मालूम है मैं कौन हूँ? कौन कह रहा था? मादर...  तुम समझते क्या हो अपने आप को, मादर चो ...  पागल समझ रहे हो? तेरी माँ चो ...  दूंगा मैं, बहन चो ....। और आख़िरकार इस पत्रकार पर इतने सरे अलंकरण की बारिश करने के बाद दुलत ने उस दलाल पत्रकार व उसके कैमरामैन को धक्के देकर अपने घर से बाहर खदेड़ दिया। तो क्या इस तरह पत्रकारिता की 'शान ' बढ़ा रहा है हमारे देश का बिकाऊ भाण्ड मीडिया ? 
 
इसी तरह पिछले दिनों ज़ी न्यूज़ और CNN-News18 के  विरुद्ध  पुंछ की अदालत ने ऍफ़ आई आर का आदेश दिया तथा प्रत्येक पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना सुनाया। मामला यह था कि 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पुंछ में पाकिस्तानी हमले में क़ारी मोहम्मद इक़बाल नामक एक सज्जन व्यक्ति शहीद हो गए थे। उस समय ZeeNews और CNNnews18 जैसे चैनल बड़ी ही बेशर्मी से इक़बाल को आतंकवादी बता रहे थे तथा बिना किसी सबूत के यह दावा कर रहे थे  कि क़ारी मोहम्मद इक़बाल का सम्बन्ध लश्कर-ए-तैयबा से था।  जबकि वे स्थानीय लोकप्रिय समाजसेवी थे तथा राष्ट्रभक्त व्यक्ति थे। मरणोपरांत उनकी छवि बिगाड़ने, फ़र्ज़ी व अपमानजनक सामग्री प्रसारित करने के लिए ही अदालत ने इन चैनल्स पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। निश्चित रूप से यह पक्षपातपूर्ण पत्रकारिता के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा है। यह कैसा ग़ैर ज़िम्मेदार मीडिया है कि दुश्मन की गोली से शहीद होने वाले अपने ही देशवासियों को आतंकवादी बता रहा है?
 
याद कीजिये 14 जून 2020 का वह दिन जब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली थी। परन्तु आत्महत्या करने के बाद उसके परिवार वालों ने सुशांत की मित्र अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को इस तरह कटघरे में खड़ा कर दिया था गोया रिया चक्रवर्ती पर दोष मढ़ने के लिये मीडिया के पास सारे सुबूत मौजूद हों। उस दौरान इसी मीडिया ट्रायल की वजह से रिया को 27 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था। रिया चक्रवर्ती पर न केवल न केवल सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने भर का आरोप था बल्कि उस पर 15 करोड़ की हेराफेरी का भी आरोप लगाया गया था। यहाँ तक कि इस मामले में ड्रग्स के एंगल से भी जांच की गई थी। परन्तु पिछले दिनों इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत में दो क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी। सीबीआई की इस रिपोर्ट में अभिनेता की मौत के मामले में किसी साज़िश से इनकार किया गया।  गोया सीबीआई द्वारा रिया चक्रवर्ती को क्लीन चिट दे दी गई। इस रिपोर्ट के फ़ौरन बाद ज़ी न्यूज़ के स्वामी सामने आये थे और उन्होंने अपने चैनल पर इस सम्बन्ध में ग़लत ख़बर चलाने के लिये मुआफ़ी मांगी। परन्तु बेशर्म पत्रकारों ने मुआफ़ी मांगने की भी ज़रुरत महसूस नहीं की ? देश में जिस तरह मीडिया द्वारा बेशर्मी की सारी हदें पार की जा रही हैं उसे देखकर यही कहा जायेगा कि पत्रकारिता की नाक कटाने पर तुला है 'गोदी मीडिया'। 
नी 

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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