धर्मसत्ता, राजसत्ता से बहुत ऊपर है: जयराम दास

अयोध्या । जैसे त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था बिल्कुल वैसा ही उत्साह आज अयोध्या ही नहीं बल्कि भारत के साथ सारे विश्व में है। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में पूरी दुनिया से लोग आ रहे हैं। मत, मजहब, ऊंच-नीच कोई नहीं देख रहा है। रामभाव मतलब समभाव। राम ने सबको गले लगाया। यह भाव आज जनमानस में दिखाई दे रहा है। यह बातें श्रीराम आश्रम अयोध्या के महंत जयराम दास ने कही।

महंत जयराम दास ने बताया कि हमारे भारतवर्ष में जितने भी सम्प्रदाय हैं उन सभी सम्प्रदायों के संत आ रहे हैं, देश में जितने भी स्वजातीय मंदिर हैं; उन मंदिरों के महंत आ रहे हैं। यह बहुत बड़ा सौभाग्य है। आज जन-जन में उत्साह है। पूरे देश में दीपोत्सव मनाया जा रहा है। अयोध्या के सभी मंदिरों में उत्सव हो रहे हैं। कहीं कथा, कहीं यज्ञ, कहीं संत समागम, कहीं गायन-वादन हो रहा है। जैसे रामनवमी में अयोध्या सजती है आज ठीक उसी प्रकार का माहौल है।

उन्होंने कहा धर्मसत्ता सर्वोच्च है। प्रभु राम ने स्वयं कहा है, मुझ से अधिक संत कर लेखा। धर्मसत्ता, राजसत्ता से बहुत ऊपर है। धर्म, देश समाज व मानव कल्याण के लिए है। धर्म, सबका कल्याण करना चाहता है। सनातन धर्म मानव ही नहीं, अपितु पेड़, पशु-पक्षी सबके कल्याण की कामना करता है। सनातन धर्म ही धर्म है, बाकी सब पंथ व मजहब। उन्होंने कहा कि सनातन के उपासक व परिमार्जक शंकराचार्य व रामानन्दाचार्य व निम्बार्काचार्य जी हैं। यही करण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोड शो में उनके दोनों तरफ साधु संत ही दिखाई दे रहे थे। संत महंत उन पर फूलों की वर्षा कर रहे थे। आज अयोध्या के मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है। लेकिन प्राचीन मंदिरों से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए; क्योंकि त्याग तपस्या करने वाली यह धरती है। 
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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