DeepSeek के जरिए चीन कर रहा है जासूसी

DeepSeek के जरिए चीन कर रहा है जासूसी

नई दिल्ली। DeepSeek R1 AI लॉन्च होते ही विवादों में घिर गया है। इस एआई टूल को अमेरिका समेत कई देशों में बैन कर दिया गया है। चीनी स्टार्टअप कंपनी डीपसीक R1 एआई टूल पर यूजर्स का डेटा चीन भेजने का आरोप लगा है। एक रिसर्च फर्म ने इस एआई चैटबॉट के लिंक चीन से जुड़े होने की बात कंफर्म की है। रिपोर्ट के मुताबिक, डीपसीक के कोड अमेरिका में बैन हो चुके चाइना मोबाइल के हैं। यह चीनी टेलीकॉम ऑपरेटर अमेरिका में 2019 से ही बैन है।
 
डीपसीक की खोल दी पोल-पट्टी
AP की रिपोर्ट के मुताबिक, डीपसीक में ऐसे कोड हैं जो यूजर्स के लॉग-इन जानकारी को चाइना मोबाइल को भेजते हैं। कनाडा बेस्ड रिसर्च फर्म Feroot सिक्योरिटी ने दावा किया है कि डीपसीक एआई का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है। कई और इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स ने भी दावा किया है कि डीपसीक एआई यूजर्स के डेटा को चीन भेजता है।
 
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2019 में अमेरिकी सरकार ने चाइना मोबाइल को बैन कर दिया था। इस चीनी टेलीकॉम ऑपरेटर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बताते हुए प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि, सिक्योरिटी रिसर्च फर्म ने एआई टूल के कोड के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की है।
 
लॉग-इन जानकारी करता है चोरी
रिसर्च फर्म ने दावा किया है कि डीपसीक एआई का यह कोड यूजर के लॉग-इन इंफॉर्मेशन को चाइना मोबाइल को भेजता है। रिसर्च फर्म ने वेब लॉग-इन के कोड की जांच करने पर यह जानकारी दी है। हालांकि, इसके मोबाइल ऐप को अभी फर्म ने एनालाइज नहीं किया है।
 
DeepSeek AI को सबसे पहले अमेरिकी राज्य टेक्सस ने बैन किया था। सरकारी कर्मचारियों को इस एआई टूल के अपने डिवाइस में नहीं रखने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा अमेरिकी सरकारी एजेंसी और NASA ने भी डीपसीक के इस्तेमाल पर रोक लगाई है। इटली में भी चीनी स्टार्टअप कंपनी का यह एआई मॉडल बैन है। भारत के वित्त मंत्रालय ने भी अपने कर्मचारियों को डीपसीक और चैटजीपीटी जैसे किसी एआई टूल के इस्तेमाल पर रोक लगाया है।
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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