फूलों की खेती से लिखी तरक्की की इबारत

खेत में तैयार फूल रायबरेली,लखनऊ, कानपुर के साथ ही लखनऊ की मंडियों में बेचकर लाखो कमा रहे,

बिछिया ब्लॉक के गांव गजाखेड़ा में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों के बजाय फूलों की खेती में बढ़ा रकबा, कमाई से मुनाफा सबसे अधिक,

उन्नाव। बिछिया ब्लॉक के गांव गजाखेड़ा में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों के बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है। क्षेत्र में लगातार फूलों का रकबा भी बढ़ता जा रहा है। जानकर इसे अच्छी शुरुवात मानते है। पिछले कई वर्षों से काई एकड़ जमीन में गेंदा के फूलों की खेती कर रहे गजा खेड़ा गांव के किसान सुन्दर लाल ने बताया कि एक एकड़ में 20 हजार रुपये की लागत आती है। लगातार एक वर्ष में लगभग 50 क्विंटल से अधिक उत्पादन मिल जाता है। इसकी पूसा नारगी, पूसा बसंती, पूसा अर्पिता पूसा बाहर आदि प्रकार की प्रजातियां होती हैं।
 
इस समय 50 से 70 रुपये प्रति किलो तक फूल बिक रहा हैं। यहां का फूल उन्नाव ,कानपुर, लखनऊ, कन्नौज सहित अन्य शहरों में बेचा जाता है। मांगलिक कार्यों व त्योहार धार्मिक अनुष्ठान पर तो यह फूल कानपुर लखनऊ व कन्नौज की बड़ी मंडियों तक भी जाते है। किसानों ने यह भी बताया कि उन्होंने बताया की मात्र फंगस बीमारी से बचाव के लिए सावधानी बरतनी पड़ती है। किसानो का कहना है कि कीटनाशक छिड़काव नहीं करते है, क्योंकि मित्र कीट मधुमक्खियां के लिए खतरा बन जाता है। फूलों के पौधों के लिए मधुमक्खियां संजीवनी बूटी का काम करती हैं।
 
कोरोना में नौकरी गई तो फूल की खेती आई रास-
कोरोना में नौकरी चली गई तो सोनिक व बिछिया क्षेत्र के कई किसानों ने फूलों की खेती से तरक्की की इबारत लिख डाली। आज वह फूलों की खेती के जरिए खुद के साथ ही अपने परिवार की जीविका चला रहे हैं। कोरोना के बाद हालात में सुधार हुआ, लेकिन राज कुमार सैनी ने फिर परदेश की तरफ रुख नहीं किया। खेत में तैयार फूल रायबरेली के साथ ही लखनऊ की मंडियों में बेचकर वह खूब पैसा कमा रहे हैं। उसका कहना है, कि उसे मेहनत का अच्छा फल मिला। फूलों की खेती से किस्मत बदल गई।
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