कुशीनगर : अंग्रेज तो गए टापू में जीने वाले लोगों की गुलामी से नही मिली मुक्ति..!
कब होगा जटहां -बगहा पूल निर्माण...?
ब्यूरो रिपोर्ट - प्रमोद रौनियार
कुशीनगर, तरुण मित्र। आज से करीब 93 वर्ष पूर्व छितौनी - बगहा गंडक नदी पर बने रेल पुल पर रेल गाड़ियां दौड़ती थी। बुजुर्गो की माने तो सन् 1916 में अंग्रेजो ने छितौनी बगहा रेल पूल बनाया था। जब 1924 में अंग्रेजो से भारत देश की आजादी के लिए पश्चिमी चंपारण बिहार की जमीन से गाँधी आंदोलन की शुरुवात हुई उस समय आंदोलनकारियों को रोकने के लिए अंग्रेजो ने नारायणी गंडक नदी का एकलौता रेल पूल मार्ग को बम से उड़ा दिया ताकि आंदोलनकारी यूपी के कुशीनगर में न घुस सके। उस आंदोलन में बम से रेल पटरी तो उड़ गयी लेकिन आज भी उसकी 16 पाया छितौनी बगहा रेल गाड़ी चलने की गवाही दे रही है जो गूगल मैप के माध्यम से मैं आपको दिखाने का प्रयास कर रहा हूं । उस समय बगहा ट्रेन से उतरने के बाद नरैनापूर घाट से ही यूपी के जटहां-बगहा गंडक नदी मार्ग से नाव और टमटम की साधन से लोग यूपी के कुशीनगर और बगहा बिहार की यात्रा करते थे।
वो दिन और आज विकसित भारत
आज एक पूल सड़क के अभाव में नदी के दबाव में रास्ता बंद हो गया है, इसी मार्ग पर जटहां-बगहा पूल निर्माण की मांग को लेकर दो दशक से जटहां-बगहा के किसान युवा व्यापारियों और बुजुर्गों के द्वारा उठाई जा रही है। पर ऐसे ऐतिहासिक महत्वपूर्ण यूपी बिहार को जोड़ने वाली मार्ग पर जनप्रतिनिधियों की नजर नही दौड़ रही हैं,ये विडंबना नही तो और क्या कहा जायेगा, एक देश दो नागरिक व्यवस्था की प्रथा कब खत्म होगी।
About The Author

‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
टिप्पणियां