पीडियाट्रिक सर्जन्स का  मना 58 वां स्थापना दिवस

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शिशु मृत्यु दर कम करने को किया जागरूक

पीडियाट्रिक सर्जन्स का  मना 58 वां स्थापना दिवस

लखनऊ। केजीएमयू में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक सर्जन्स का 58 वां स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। विभिन्न 17 भाषाओं के विजुअल सामग्री के माध्यम से आधुनिक पीडियाट्रिक सर्जरी के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। बता दें कि यह शिु मृत्यु दर कम करने के लिए देश के सभी राज्यों जागरूक किया जा रहा है। पीडियाट्रिक सर्जरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। शुक्रवार को पीडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डा.जेडी रावत की नेतृत्व में बच्चों के स्वस्थ्य को प्रभावित करने वाले सर्जिकल विकारों में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए एक सोशल मीडिया आंदोलन शुरू किया गया है। इस आयोजन में आधुनिक पीडियाट्रिक सर्जरी की कई जटिल मुद्दों से निपटने की जानकारी साझा की गयी।

बच्चों में जन्म से पहले 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों में मूत्र, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, छाती, न्यूरोसर्जिकल समस्यांए और विभिन्न जन्म दोष के विषयों को शामिल किया गया है। ज्ञात हो कि होल, एंडोस्कोपिक, लेप्रोस्कोपिक, पीडियाट्रिक एनेस्थीसिया, उच्च स्तरीय गहन देखभाल और रोबोटिक सर्जरी जैसी अत्याधुनिक तकनीक विधा सुरक्षित और उपचार में कारगर एवं सकारात्मक परिणाम प्रदान करने में सफल साबित हुई है। आधुनिक पीडियाट्रिक सर्जरी के सफल 58 वर्ष, बाल स्वास्थ्य रक्षा मे एक महत्वपूर्ण प्रगति को दशार्ता है। यह अवसर विशेष प्रासंगिकता रखता है क्योंकि देश की शिशु मृत्यु दर में समग्र सुधार के बावजूद, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बढी शिशु मृत्यु दर में 10 फीसदी का कारण जन्म दोष और बाल शल्य चिकित्सा विकार होते हैं । इसके अलावा हर दिन तीन हजार से अधिक बच्चे जन्म दोषों के साथ पैदा होते है। जिनका उपचार न किये जाने पर संचयी प्रभाव पड़ता है।

पीडियाट्रिक सर्जरी दिवस की इस वर्ष की थीम भारत के सभी जिलों में बाल शल्य चिकित्सा सेवाओं और पीडियाट्रिक सर्जन्स की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देती है। विशेषज्ञों ने कहा कि जब शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं होगी तब तक भारत को विकिसत राष्ट्र बनाना सम्भव नहीं है। डॉ.जेडी रावत ने कहा कि राष्ट्र हर जिले में एक मेडिकल कालेज की स्थापना करने में अग्रसर है, मेरा एक सुझाव है कि मेडिकल कालेजो में कम से कम एक पीडियाट्रिक सर्जरी इकाई जरूर होनी चाहिए।

जो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए प्रत्येक कालेज में 10 फीसदी सर्जिकल बिस्तरों के आवंटन के अनुरूप हो और पीडियाट्रिक सर्जन द्वारा जरूरतमंद बच्चों की जटिल सर्जरी की सुविधा प्रत्येक मेडिकल कालेज में उपलब्ध हो । इससे बच्चों में होने वाले जन्मजात विकृतियों, बीमा पालिसी एवं सरकार द्वारा मुफ्त इलाज की व्यवस्था होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कुछ ऐसे कदम उठायें,साथ हीभोजन में गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड की व्यवस्था की जाये जिससे पोषण की कमी से न्युरलट्यूब डिफेक्ट को रोका जा सके।

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