नगर निगम: मेयर के विरोध में भाजपा पार्षद का इस्तीफा!
पार्षद का आरोप नगर निगम के अधिकारी उनकी नहीं सुनते
- पार्षदों का कहना, सदन के फैसले को अधिकारी और महापौर पलट देते हैं
लखनऊ। नगर निगम के बजट को लेकर हुई बैठक के दौरान पार्षदों ने हंगामा कर दिया। मामला ऐसा बढ़ा कि मौलवीगंज के पार्षद मुकेश सिंह मोंटी ने नगर निगम की कार्यकारिणी से नगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी को इस्तीफा सौंप दिया है। उनका कहना है कि अधिकारी पार्षदों की बात सुनते नहीं हैं। लखनऊ नगर निगम में 2025-26 के बजट को लेकर सोमवार सुबह 9 बजे बैठक थी। इसमें कार्यकारिणी समिति के सदस्य नहीं पहुंचे। महापौर 11 बजे तक इंतजार करती रहीं इसके बाद बैठक निरस्त कर दी गई। अब 18 मार्च को बैठक करने का निर्णय लिया गया है।
लखनऊ नगर निगम में 42 अरब रुपए के बजट का प्रस्ताव है। इसमें विस्तारित सीमा के विकास पर जोर दिया गया है। 100 करोड़ रुपए से अधिक के खर्च का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही बैठक में कम विज्ञापन आने की चर्चा भी हो रही है। निगम में सदस्यों की संख्या 12 है। रंजीत यादव और गिरीश गुप्ता दो ही सदस्य बैठक में पहुंचे थे। बजट में पार्षद निधि बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं होने के कारण भाजपा के साथ में सपा के भी पार्षद महापौर का विरोध करने लगे। पार्षदों का कहना है कि कार्यकारिणी के कई सदस्य बैठक में इसलिए नहीं पहुंचे क्योंकि यह काला बजट है। जनता के हित का बजट नहीं है। वार्ड विकास निधि नहीं बढ़ाई जा रही। सफाई के बजट में अप्रत्याशित बजट बढ़ा दिया गया है।
पार्षदों से कोई चर्चा नहीं की गई है। कोटा बढ़ाने की चर्चा नहीं। कांग्रेस पार्षद ने कहा है कि आंकड़ों में हेर फेर किया गया है। ये विकास विरोधी बजट है। भाजपा और सपा सदस्यों द्वारा बैठक का बहिष्कार करने से महापौर नाराज हैं। उनका कहना है कि मामले की शिकायत भाजपा के नगर अध्यक्ष से की है। इसके पीछे जिसका भी हाथ है उसका पता लगाएंगे। अब 18 मार्च को बैठक बुलाई गई है। बैठक से भाजपा के आठ सदस्य, जबकि सपा के दो सदस्य नहीं आए। सिर्फ दो सदस्य ही बैठक में पहुंचे थे।
बैठक में नहीं पहुंचने पर भाजपा पार्षद और कार्यकारिणी सदस्य अनूप कमल सक्सेना, उमेश सनवाल, मुकेश सिंह मोंटी, अनुराग मिश्रा, भृगुनाथ शुक्ला, चरणजीत गांधी, कृष्ण नारायण सिंह और गौरी सांवरिया की महापौर सुषमा खर्कवाल ने शिकायत की है। उनका कहना है कि इन सदस्यों के मौजूद नहीं होने के कारण लखनऊ के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है।
भाजपा के जिन पार्षदों की शिकायत महापौर ने भाजपा के महानगर अध्यक्ष से की है। वह पार्षद भाजपा के नेताओं से मिलने पहुंचे हैं। पार्षदों का कहना है कि सदन के फैसले को अधिकारी और महापौर पलट देते हैं।
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