टेक्नॉलाजी युग के साथ हमको आगे बढ़ना ही होगा : राज्यपाल दत्तात्रेय
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले हरियाणा के राज्यपाल
- केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल एवं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसों ने रखे अपने विचार
नई दिल्ली। हरियाणा के राज्यपाल एवं डॉ बीआर आम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय सोनीपत के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज के टेक्नॉलाजी युग के साथ हमको आगे बढ़ना ही होगा। इसके साथ ही नवाचार भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बगैर हम आगे नहीं जा सकते। ऐसे में न्याय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए एआई का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
राज्यपाल दत्तात्रेय डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल केंद्र, नई दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: कानूनी निहितार्थ और चुनौतियां विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन डॉ. बीआर आंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय सोनीपत, भारत के विधि आयोग और केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने किया था।
सम्मेलन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के असंख्य कानूनी निहितार्थ हैं। उपकरणों में डेटा का निरंतर इनपुट डेटा स्वामित्व के संबंध में चिंताएं पैदा करता है। इस स्वायत्त प्रतिक्रियाओं के उपयोगकर्ता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचे की आवश्यकता है। हालांकि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के साथ इसमें जटिल समस्याएं भी हैं, लेकिन इसके साथ लाभ भी हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवता के भविष्य के लिए एक निर्णायक कारक बन गया है क्योंकि यह व्यक्तिगत जीवन को काफी हद तक बदल रहा है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अवसर और चुनौतियां दोनों लाता है, इसलिए जोखिमों को कम करने और सभी के लिए बेहतर जीवन को बढ़ावा देने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदों का पूरा उपयोग करने के बीच सही संतुलन बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, मानव अधिकारों और कानून के शासन के लिए संभावित जोखिमों से बचने या कम करने के लिए कानूनी विनियमन आवश्यक होगा। राष्ट्रीय कानून से यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा एआई अनुप्रयोगों के उपयोग के लिए कानूनी आधार है।
सम्मेलन में केंद्रीय कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि तकनीक हर सौ साल में बदलती है और चुनौतियां और समस्याओं के साथ उनका हल भी लाती हैं। उन्होंने कहा कि 18वीं शताब्दी में भाप के विकास से औद्योगिक क्रांति 1.0 की शुरुआत हुई। दूसरी क्रांति बिजली के आविष्कार के साथ आई। फिर 19वीं शताब्दी में कई अविष्कार हुए। 20वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास और 21वीं सदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास हुआ। हर क्रांति के बाद चुनौतियां और चिंताएं सामने आईं लेकिन इसे अपनाकर देश व समाज विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के अपारदर्शी होने के कारण डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताएं लगातार खतरा बनी हुई हैं। पारदर्शिता की यह कमी प्रौद्योगिकी को जवाबदेही खो देती है, जब तक कि उपयोगकर्ता के पास उत्पन्न आउटपुट के पीछे के तर्क को देखने की क्षमता न हो।
इस मौके पर भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य में विश्वास को देखते हुए विश्वविद्यालय के इन प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एआई पर कानूनी निहितार्थों और चुनौतियों पर तत्काल चर्चा की आवश्यकता है। उन्होंने कोर्ट की प्रणाली में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत करके पथप्रदर्शक बनने के लिए भारत की न्यायपालिका की सराहना की।
सम्मेलन को केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, डॉ बीआर अंबेडकर नेशनल लॉ कॉलेज सोनीपत की वाइस चांसलर अर्चना मिश्रा ने भी संबोधित किया। अंत में आंबेडकर नेशनल लॉ कॉलेज सोनीपत एवं कॉन्फ्रेंस डाइरेक्टर डॉ आशुतोष मिश्रा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में बहुप्रतीक्षित सार पुस्तक का विमोचन किया गया। इसके बाद राष्ट्रीय कांफ्रेंस में तीन तकनीकी सत्र हुए जिसमें अलग विषयों पर चर्चा हुई।
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