संत गाडगे जयंती पर धोबी समाज ने निकाली भव्य शोभायात्रा
धोबी समाज ने निकाली भव्य शोभायात्रा
संत गाडगे जयंती को धोबी समाज ने धूमधाम से मनाया
धमतरी। संत गाडगे बाबा की जयंती पर धोबी समाज में अपार उत्साह रहा। 23 फरवरी को शहर में भव्य कलश यात्रा निकाली गई। आमा तालाब रोड स्थित समाज भवन में मंचीय कार्यक्रम भी हुआ। उल्लेखनीय है कि संत गाडगे महाराज और गाडगे बाबा के नाम से जाने जाते है। उनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी तालुका के शेड्गाओ ग्राम में एक धोबी परिवार में हुआ था। उनकी जयंती पर धोबी समाज की ओर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। आमा तालाब स्थित समाज भवन से यह शोभायात्रा आरंभ हुई, जो रिसाईपारा, शिव चौक, धोबी चौक, नयापारा होते हुए वापस समाज भवन में पहुंची। शोभायात्रा में बच्चे और युवतियां-महिलाएं डीजे की धून पर नाचते-गाते चल रहे थे। पीछे-पीछे महिलाएं सिर में मंगल कलश धारण कर चल रही थी। इसके बाद समाज भवन में मंचीय कार्यक्रम हुआ, जिसमें समाजजनों को संबोधित करते हुए समाज के अध्यक्ष खम्हन लाल रजक ने कहा कि गाडगे महाराज एक घूमते फिरते सामाजिक शिक्षक थे। वे पैरो में फटी हुई चप्पल और सिर पर मिट्टी का कटोरा ढककर पैदल ही यात्रा किया करते थे। और यही उनकी पहचान थी। जब वे किसी गांव में प्रवेश करते थे तो गाडगे महाराज तुरंत ही गटर और रास्तों को साफ करने लगते। और काम खत्म होने के बाद वे खुद लोगों को गांव के साफ होने की बधाई भी देते थे। कार्यक्रम में प्रतिभावान छात्र-छात्राओं और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में भागवत रजक, कमलेश रजक, पंचूराम रजक, बसंत रजक, दिनेश रजक, विजय रजक, पप्पू निर्मलकर, भागवत निर्मलकर, शकुन बाई, सरिता बाई, सरोज बाई निर्मलकर समेत बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए।
समाज कल्याण का किया प्रसार
पार्षद पूर्णिमा रजक, गजानंद रजक ने कहा कि गांव के लोग जब गाडगे महाराज को पैसे भी देते थे और बाबाजी उन पैसों का उपयोग सामाजिक विकास और समाज का शारीरिक विकास करने में लगाते थे।। लोगो से मिले हुए पैसो से गांवो में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरों के निवास स्थान बनवाते थे। गांवों की सफाई करने के बाद शाम में वे कीर्तन का आयोजन भी करते थे और अपने कीर्तनों के माध्यम से जन-जन तक लोकोपकार और समाज कल्याण का प्रसार करते थे।
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