मणिपुर में बढ़ रही है टेंशन! सुरक्षा बलों ने संभाले हुए हैं हालात
मणिपुर : जहां हिंसा की सबसे खतरनाक दृश्य देखे गये। मणिपुर के बारे में भले ही खबरें कम आती है लेकिन वहां के हालात ठीक नहीं है लगभग 8-9 महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। ताजा अपडेट में आदिवासी बहुल जिले में छिटपुट हिंसा की ताजा रिपोर्ट के बाद मणिपुर सरकार ने मंगलवार को चुराचांदपुर जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत दो महीने के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी। 18 दिसंबर से धारा 144 लागू कर दी गई है और 18 फरवरी 2024 तक जारी रहेगी। निषेधाज्ञा के आदेश एक जनजातीय निकाय की उस घोषणा के बाद आए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि वे मंगलवार को जातीय संघर्ष के दौरान मारे गए जनजातीय लोगों को सामूहिक रूप से दफनाएंगे।
चुराचांदपुर स्थित एक प्रभावशाली आदिवासी निकाय, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएफएल) ने राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान मारे गए 60 से अधिक लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की घोषणा की। हिंसा में मारे गए 64 लोगों के शव गुरुवार को उनके परिवारों को सौंप दिए गए। मई की शुरुआत से ही शवों को सरकारी मुर्दाघरों में रखा गया था।
मणिपुर हिंसा
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से 150 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं। हिंसा को नियंत्रित करने और राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा लगभग 40,000 केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था।
अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राहत और पुनर्वास पर गौर करने के लिए उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान हुई कुल मौतों में से केवल 81 शवों का दावा किया गया था।
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