बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने के बाद भी कांग्रेस की मुसीबत कम नहीं हुई
तेलंगाना। बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने के बाद भी कांग्रेस की मुसीबत कम नहीं हुई है. राज्य में सीएम कौन हो, इसे तय करना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. बहुमत मिलने के दो दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया है. पार्टी में क्या चल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार शाम राजभवन में मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने की तैयारी थी. राजभवन में योजना के अनुसार सारी तैयारियां भी हो गईं थीं, लेकिन अंतिम समय में प्लान रद्द हो गया.
मंगलवार सुबह से ही एक बार फिर सीएम के चयन को लेकर कवायद चलती रही. इससे पहले सोमवार शाम शपथ ग्रहण समारोह के लिए राजभवन में सभी तैयारियां परी हो गई थीं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, राजभवन में रेड कारपेट बिछाने से लेकर मेहमानों के लिए सफेद कुर्सियां तक लग गई थी. माइक और अन्य इंतजाम हो गए थे. यहां तक कि फूलों के भी ऑर्डर दे दिए गए थे, लेकिन अचानक सारा प्लान रद्द कर दिया गया. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. चलिए जानते हैं पूरा मामला.
कई सीनियर लीडर कर रहे हैं विरोध
चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी सीएम पद की रेस में तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी का नाम सबसे आगे था. पार्टी जब चुनाव जीती तब भी उन्हीं का नाम आगे था. रेवंत रेड्डी तेलंगाना में कांग्रेस के अभियान का चेहरा थे. इन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का भी समर्थन प्राप्त है, लेकिन बताया जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मोर्चा खोल दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तम कुमार रेड्डी, भट्टी विक्रमार्क, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, दामोदर राजनरसिम्हा अंदर ही अंदर रेवंत रेड्डी के नाम का विरोध कर रहे हैं.
रेवंत रेड्डी के साथ 42 विधायक
रेवंत रेड्डी का विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि रेवंत रेड्डी अनुभवहीन हैं और इस वह वह हमेशा विपक्ष में रहे हैं, उन्हें कभी भी सरकार में रहने का अनुभव नहीं है. दूसरी तरफ रेवंत रेड्डी भी अंदर से होने वाले इस विरोध को जानते हैं. जब उन्हें राज्य में कांग्रेस प्रमुख बनाया गया था, तब भी उनके कुछ सहयोगियों ने विरोध किया था. कहा जाता है कि रेवंत रेड्डी ने टिकट बंटवारे के दौरान इस बार का खास ध्यान रखा. उन्होंने अपने लोगों को ज्यादा टिकट दिए, ताकि जरूरत पड़ने पर संख्याबल उनके साथ हो. उनके समर्थकों का कहना है कि उनके पास लगभग 42 विधायक हैं, और उन्हें सीएम घोषित न करना कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल होगा. वास्तविक तस्वीर जानने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के 64 विधायकों में से प्रत्येक के साथ बैठकें आयोजित कीं. इसके बाद रिपोर्ट बनाकर इसे आलाकमान तक भेज दिया है.
इनसे मिल रही रेवंत रेड्डी को चुनौती
रेवंत रेड्डी को सबसे बड़ी चुनौती उत्तम कुमार रेड्डी से मिल रही है. 61 वर्षीय उत्तम कुमार रेड्डी हमेशा कांग्रेस के साथ रहे हैं, उन्होंने नलगोंडा से सांसद सहित सात चुनाव जीते हैं. वह वायु सेना के लड़ाकू पायलट थे और राजीव गांधी के सहयोगी होने के कारण गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. उनके एक करीबी सूत्र ने बताया कि, वह मुख्यमंत्री बनने के लिए सबसे योग्य हैं.
मल्लू भट्टी भी विरोध में
कांग्रेस विधायक दल के पूर्व प्रमुख 63 वर्षीय मल्लू भट्टी विक्रमार्क दलित समुदाय के माला समूह से आतते हैं. रेवंत रेड्डी के विरोध में ये भी खड़े हैं. विक्रमार्क तीन बार विधायक रहे हैं. इसके अलावा वह डिप्टी स्पीकर और विपक्ष के नेता के रूप में काम कर चुके हैं. वह मल्लू रवि के भाई हैं, जिन्होंने रेवंत रेड्डी को अपना समर्थन दिया है. भट्टी विक्रमार्क इसी साल 1,400 किलोमीटर की पदयात्रा करके सुर्खियों में आए थे.
कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी को भी मंजूर नहीं
वहीं 58 वर्षीय कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी लगभग 35 वर्षों से कांग्रेस के साथ हैं. वह पार्टी में सबसे वरिष्ठ लोगों में से एक हैं. वह पूर्व मंत्री, चार बार विधायक और सांसद रहे हैं और उन्होंने अपने पूर्ववर्ती नलगोंडा जिले के 12 में से 11 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की.
दामोदर राजनरसिम्हा ठोक रहे अपना दावा
65 वर्षीय दामोदर राजनरसिम्हा प्रमुख मडिगा अनुसूचित जाति समूह से आते हैं. वह वाईएस राजशेखर रेड्डी कैबिनेट में मंत्री और किरण कुमार रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं. उनका परिवार पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ रहा है.
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