संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मास्टरमाइंड ललित झा के बारे में कई खुलासे

  संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मास्टरमाइंड ललित झा के बारे में कई खुलासे

 । संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मास्टरमाइंड ललित झा के बारे में कई खुलासे हो रहे हैं। ललति झा कहां का रहने वाला है? पहले क्या करता था? संसद में घुसपैठ के लिए कैसे रच डाली साजिश? इन सब बातों से अब पर्दा हटने लगा है।

कौन है ललित झा
दरअसल, ललित झा बिहार का रहने वाला है। हालांकि, वह बिहार के किस जिले से है, इसपर खुलासा होना बाकी है। बताया जा रहा है कि ललित झा शहीद भगत सिंह से प्रेरित है।

ललित झा पहले पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में आदिवासी शिक्षा पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन, समयाबादी सुभाष सभा समूह के अध्यक्ष थे। वह समूह के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय थे।

ललित झा बंगाल के बड़ाबाजार इलाके में एक किराए के मकान में पांच वर्ष रहा है। वहीं उसने आसपास रहने वालों को अपना परिचय शिक्षक के रूप में दिया था।

डेढ़ वर्ष पहले वहां से चला गया था। उसके बाद से लोगों को उसके बारे में अधिक नहीं पता।

दूसरी तरफ बैरकपुर पुलिस कमिश्नरेट की एक टीम ने ललित के एनजीओ पार्टनर कहे जा रहे नीलाक्ष आइच के बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हालीशहर घर जाकर उससे पूछताछ की। नीलाक्ष बिधाननगर कालेज में द्वितीय वर्ष का छात्र है।

बेहद शातिर तरीके से फोन लेकर भागा था ललित झा
पुलिस सूत्रों ने बताया कि ललित झा ने राजस्थान के कुचामन भागने के बाद अपने दोस्त महेश के साथ अपने सभी सहयोगियों के मोबाइल फोन जला दिए हैं। घटना से पहले, सभी चार आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन ललित झा को सौंप दिए थे ताकि महत्वपूर्ण जांच विवरण पुलिस के हाथ न लग सकें क्योंकि उन्हें उनकी गिरफ्तारी की आशंका थी। इसलिए वह फोन लेकर शातिर तरीके से भाग निकला।

हालांकि, दिल्ली पुलिस ललित झा के सभी दावों की पुष्टि कर रही है। झा भी संसद के बाहर मौजूद था और उसने इसे प्रचारित करने के इरादे से अपने दो साथियों का वीडियो बनाया।

मैसूरु में ऐसे रची गई थी संसद में घुसपैठ की साजिश
नई दिल्ली संसद भवन की सुरक्षा में सेंध और बाहर हंगामा करने का षड्यंत्र कर्नाटक के मैसूरु में रचा गया था। फरार चल रहे ललित झा समेत सभी आरोपितों ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व पहली बार मैसूरु में बैठक की थी। वहां सब पहली बार आमने-सामने मिले थे।

संसद भवन में विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय नौ माह पहले लिया गया। दो आरोपितों ने पुराने संसद भवन के अंदर और बाहर दो बार रेकी की थी। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलीजेंस समेत केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की जांच में इसकी पुष्टि हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक पेज (भगत सिंह फैन पेज) पर लखनऊ के सागर शर्मा समेत मनोरंजन, नीलम, अमोल शिंदे और ललित झा की मुलाकात हुई थी। इसके बाद करीब डेढ़ वर्ष पहले सामाजिक मुद्दों को एक तरीके से उठाने के लिए इन्होंने मैसूरु में बैठक की।

रेकी करने के लिए आरोपित मनोरंजन विजिटर पास की मदद से मार्च में बजट सत्र के दौरान दर्शक बनकर पुराने संसद भवन में गया था। जुलाई में सागर शर्मा दिल्ली आया और संसद भवन को बाहर से देखकर लखनऊ लौट गया था।

सभी आरोपी चार दिन पहले लखनऊ से दिल्ली आया था
चार दिन पहले सागर लखनऊ से गोमती एक्सप्रेस से दिल्ली आया था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचने के एक घंटे बाद महाराष्ट्र से अमोल और हिसार से नीलम भी दिल्ली आ गई। इसके बाद सभी नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर मिले। वहां से 10 दिसंबर की रात सागर, नीलम और अमोल गुरुग्राम सेक्टर-सात में रहने वाले विक्की शर्मा (मनोरंजन का दोस्त) के घर आ गए।

उसी रात ललित झा भी दिल्ली आया था
उसी रात ललित झा भी वहां आ गया और 11 दिसंबर की सुबह मनोरंजन भी दिल्ली आ गया। सागर, अमोल, ललित और मनोरंजन गुरुग्राम में पहले भी मिल चुके थे। ये भी संसद में विजिटर पास की व्यवस्था करने के लिए तीन रात और दो दिन गुरुग्राम में रुके।

उनकी योजना 14 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन करने की थी, लेकिन पहले ही पास मिलने की वजह से 13 दिसंबर को ही विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। इंडिया गेट पर की थी अंतिम बैठक: घटना वाले दिन सागर सुबह 5:30 बजे हुड्डा सिटी सेंटर से आनंद विहार के लिए निकला।

उसे वहां से अपना आधार कार्ड लेना था, जो उसके मित्र अंश ने यूपी रोडवेज के बस ड्राइवर के माध्यम से भेजा था। आधार कार्ड लेने के बाद सागर मेट्रो से मैसूरु के सांसद के पीए से दिल्ली स्थित 18 महादेव रोड पर विजिटर पास लेने चला गया।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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