कृषि रसायनों के प्रयोग में बरते सावधनियॉ: राजेश कुमार

हाथरस। राजेश कुमार, जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि फसलों को कीटों, रोगों और खरपतवारों से सुरक्षा हेतु जहरीले कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जो कि जीवों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी हानिकारक होते है। इसलिए इनका प्रयोग सावधानी पूर्वक किया जाना आवश्यक हैं कृषि रक्षा रसायनों का छिड़काव करते समय जाने-अनजाने इनका शरीर के अन्दर पहुॅचना या शरीर के सम्पर्क में आना हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही कीटनाशकों के सम्पर्क में आने से भोज्य पदार्थ भी जहरीला हो जाता है। कृषि रक्षा रसायनों के क्रय, लाने व ले जाने, भण्डारण तथा रख-रखाव में भी सावधानी आवश्यक है। अन्धाधुन्ध कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग वायु, जल व मृदा को प्रदूषित कर पारिस्थितिकीय तंत्र को भी कुप्रभावित करता है। अतः कृषि रक्षा रसायनों का सुरक्षित व न्यायोचित प्रयोग नितान्त आवश्यक है। जनपद के किसानों से अपील की जाती है कि कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग करते समय निम्न सावधानियॉ बरते।
    रसायनों को खरीदते समय:- कीट/रोग की अच्छी तरह पहचान करने के बाद यदि पहचान सम्भव नही हो पा रही हो तो स्थानीय स्तर पर कृषि रक्षा इकाई पर तैनात कृषि/रोग विशेषज्ञ से पहचान कराकर ही संस्तुत रसायन खरीदें। कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग तभी करें जब कीट/रोग की सघनता आर्थिक क्षति स्तर से अधिक हो। विषक्त्ता के आधार पर वर्गाीकृत श्रेणी में सबसे कम विषाक्त बाले रसायन को खरीदकर प्रयोग करे। रसायनों को सरकारी गोदाम अथवा पंजीकृत कीटनाशक विक्रेताओं जिनके पास वैध लाइसेंस हो से ही क्रय करें और क्रय के उपरान्त रसीद अवश्य लें। रसायन सील बन्द एवं साबुत पैकिंग में ही क्रय करें, कन्टेनर/पैकिट पर अंकित बैच नम्बर, उत्पादन तिथि तथा अवसान तिथि देख कर ही रसायन खरीदें। कालातीत, प्रतिबन्धित एवं निषिद्ध रसायनों का क्रय कदापि न करें।  
    भण्डारण एवं रख रखाव के समय:- रसायनों का भण्डारण हमेशा साफ-सुथरी, हवादार एवं सूखे स्थान पर करें। भण्डारण स्थल सीधी धूप एवं बारिश से सुरक्षित हो। रसायनों को खाने-पीने की वस्तुओं से दूर अलग स्थान पर रखें। रसायनों को हमेशा उनके मूल कन्टेनर में ही रखें। कीटनाशी एवं खरपतवारनाशी रसायनों को अलग-अलग भण्डारित करें तथा जैविक रसायनों को अलग-अलग कक्ष में रखें। रसायनों को बच्चों एवं जानवरों की पहुॅच से दूर रखें। विभिन्न प्रकार के रसायनों को अलग-अलग रखकर लायें व ले जायें। खाने पीने वाली वस्तुओं व रसायनों को एक साथ रखकर नही ले जाये। वातावरण के सम्पर्क में आने पर विषाक्त गैस छोड़ने वाले रसायनों को सील बन्द कन्टेनर में ही ले जायें। 
    घोल तैयार करते समयः- रसायनों का घोल बनाने के लिए हमेशा साफ पानी का प्रयोग करें। घोल बनाते समय हाथों में दस्ताने, चेहरे पर मास्क, टोपी, पेन्ट, जूते आदि से पूरे शरीर को ढक कर रखें। रसायनों के कन्टेनर/पैकिट पर अंकित निर्देशों व लीफलेट को ठीक से पढ़ कर उसका पालन करें। घोल बनाने के लिए रसायनों की संस्तुत मात्रा का ही प्रयोग करंे। एक बार में जितनी जरूरत हो उतनी मात्रा में ही घोल बनायें। घोल बनाते समय खान-पान या कोई अन्य क्रियाकलाप नहीं करें। रसायन को पानी में मिलाने के लिए सूखी लकड़ी का डंडा प्रयोग करें तथा यह जरूर देख लें कि रसायन पूरी तरह से पानी में घुल जाय। घोल बनाते समय बच्चों एवं जानवरों को दूर रखें। 
    छिड़काव करते समयः- छिड़काव करने से पूर्व उपकरणों को भली-भॅाति साफ करलें एवं जॉच लें। दोषपूर्ण उपकरणों का प्रयोग न करें। कीटनाशी एवं खरपतवारनाशी रसायनों के लिए अलग-अलग अथवा उपकरणों को साफ पानी से धोकर प्रयोग करें। छिड़काव के लिए उपयुक्त नोजल का ही प्रयोग करें। रसायनों के घोल को सावधानीपूर्वक मशीन में डालें और यह ध्यान रखें कि मुॅह, कान, नाक में न जायें। स्प्रे पम्प की बन्द पाइप या नोजल को मुॅह से नही फूॅकें। हवा के विपरीत दिशा में खड़े होकर छिड़काव या बुरकाव न करेें। छिड़काव यथा-सम्भव सायॅकाल ही करें। छिड़काव के समय खान-पान एवं बीड़ी, सिगरेट तथा तम्बाकू का सेवन नहीं करें। छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि रसायन के छींटे आस पास की फसलों या जीव-जन्तुओं पर न पड़े। अगर कोई दुर्घटना हो जाये तो व्यक्ति को छाया एवं हवादार स्थान पर लिटाकर उसके मुॅह से मास्क हटाकर कपड़ों आदि को ढीला कर दें एवं तत्काल प्राथमिक उपचार दें। यदि हालत में सुधार न हो तो व्यक्ति को नजदीक के डाक्टर के पास ले जायें। साथ में रसायन की शीशी व लीफलेट भी ले जायें।
    छिड़काव के बादः- प्रयोग किये हुए रसायन के खाली पैकिट को पानी के स्रोत से दूर जमीन में दबा दें। बची हुई रसायन की मात्रा को सुरक्षित स्थान पर बच्चों एवं जानवरों की पहुॅच से दूर भण्डारित कर रखें। छिड़काव के बाद खाने-पीने से पूर्व हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धो लें तथा कपड़ों को धोकर नहा लें। रसायनों के प्रयोग के बाद खाली कन्टेनर/डिब्बों को घरेलू उपयोग में नहीं लायें। उपकरणों को साफ पानी से अच्छी तरह धोकर रखें। छिड़काव किये हुए खेत में जानवरों आदि को प्रवेश न करने दें तथा नोटिस लगाकर आस-पास के लोगों को सूचित कर दें।
    प्राथमिक उपचारः- सावधानियॉ बरतने के बाद भी यदि कोई व्यक्ति विषाक्तता का शिकार हो जाता है तो तत्काल रसायन निगलाने की स्थिति में 15 ग्राम नमक को एक गिलास गुनगुने पानी में घोलकर पिलायें जिससे उल्टियॉ होकर रसायन पेट से बाहर आ जायेगा। सॉस के द्वारा रसायन अन्दर जाने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को खुली हवा में बैठायें और शरीर के कपड़े आदि को ढीला कर दें। रसायन के शरीर के सम्पर्क में आने की स्थिति में हाथ, पैर आदि को अच्छी तरह से साबुन से धो लें तथा ऑखों पर साफ पानी के छींटे मारें। प्राथमिक उपचार के बाद यदि व्यक्ति की हालत में सुधार न हो तो तत्काल चिकित्सिक के पास ले जायें। अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि रक्षा अधिकारी, हाथरस मो0 न0 9411610004 से वार्ता करें।

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