दुर्दशा गौशाला की जहाँ मरने से पहले ही खोद दी जाती है कब्र
By Rohit Tiwari
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कौशाम्बी। जिले के कडा़ विकासखंड क्षेत्र में एक ऐसी भी गौशाला है जहां बदइंतजामी के चलते यहां रखे गए हर गोवंश को अपने मौत का इंतजारहै। जानकारी मिलने पर भी संबंधित जिम्मेदार गोवंश संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं ऐसे में गो संरक्षण केंद्र, गौ बधशाला साबित हो रह है। यह चर्चित गौशाला विकासखंड कडा़ स्थित गिरधरपुर गढी़ है गौशाला के रजिस्टर में 600 गोवंश संरक्षित है जबकि वर्तमान में डेढ़ सौ गोवंश बेहद कमजोर अवस्था में गौशाला स्थल को लोहे की पतली जालियों से घेर कर रहने के लिए टीन सेड डाला गया है गोवंश खुला रहते है जिसके चलते अधिकांश गोवंश तीन सेड के बाहर बैठ कर रात गुजारती हैं। गौशाला में कहने के लिए के पांच केयरटेकर नियुक्त किए गए हैं। लेकिन बेपरवा केयरटेकर सही तरीके से अपने जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं करते हैं ऐसी दशा में गोवंश को ना समय पर भरपेट चारा भूसा मिलता है ना पीने का पानी दिया जाता है जिसके चलते गोवंश धीरे-धीरे कमजोर होकर मर रहे हैं ग्रामीणों का कहना है कि अब तक सैकड़ो की संख्या में गोवंश कालकवलित हो चुके हैं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यहां हर रोज किसी न किसी गोवंश के मरना तय है लोगों का यहां तक कहना है कि गो वंश के मरने के पहले ही उसके कब्र तैयार कर दी जाती है गौशाला के पास पहुंचने पर वीभत्स दृश्य देखने को मिलता है कमजोरी को वंश को कौवा और कुत्ते नाचते रहता है प्रदेश सरकार द्वारा जिस तरह भाव से गौशालाएं बनाई गई देखरेख क्या भाव में गौशालाएं पाप का अड्डा बन गईहै। गौशाला की दुर्दशा की जानकारी ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक अमला नहीं जानता है लेकिन इतने संवेदन शून्य क्यों है यह प्रश्न अनुत्रित हर स्तर से बना हुआ है।
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