इसरो ने ईओएस-09 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा
By Tarunmitra
On
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-09) को अंतरिक्ष में भेजा है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्च पैड से सुबह पांच बजकर 59 मिनट पर यान को प्रक्षेपित किया गया। इसके लिए प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी61 की उलटी गिनती शनिवार को शुरू हो गई थी। ईओएस-09 किसी भी मौसम परिस्थिति में पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है।
22 घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद प्रक्षेपण
इसरो के मुताबिक प्रक्षेपण की 22 घंटे की उलटी गिनती शनिवार को सुबह सात बजकर 59 मिनट पर शुरू हुई। पीएसएलवी-सी61 भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी- इसरो का 101वां मिशन है। पीएसएलवी श्रेणी का यह 63वां मिशन है। इस पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-09) से 24 घंटे सटीक और स्पष्ट तस्वीरें मिल सकेंगी।
कृषि, वानिकी निगरानी, आपदा प्रबंधन जैसे कई फायदे
ईओएस-09 से वास्तविक समय में मिलने वाली सटीक जानकारी कृषि, वानिकी निगरानी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस मिशन का उद्देश्य देश भर में विस्तारित तात्कालिक समय पर होने वाली घटनाओं की जानकारी जुटाने की आवश्यकता को पूरा करना है।
निर्धारित कक्षा में पहुंच जाएगा उपग्रह
इसरो के मुताबिक, करीब 1,696.24 किलोग्राम वजन वाला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 वर्ष 2022 में प्रक्षेपित ईओएस-04 जैसा ही है। पीएसएलवी-सी61 रॉकेट 17 मिनट की यात्रा के बाद ईओएस-09 उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) में स्थापित कर सकता है। उपग्रह के वांछित कक्षा में अलग होने के बाद वैज्ञानिक बाद में कक्षा की ऊंचाई कम करने के लिए वाहन पर ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) का उपयोग करेंगे।
होगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह
इसरो ने बताया कि ईओएस-09 की मिशन अवधि पांच वर्ष है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उपग्रह को उसकी प्रभावी मिशन अवधि के बाद कक्षा से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में ईंधन आरक्षित कर लिया गया है ताकि इसे दो वर्षों के भीतर कक्षा में नीचे उतारा जा सके, जिससे मलबा-मुक्त मिशन सुनिश्चित हो सके।
About The Author

‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
Related Posts
अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें
Latest News
18 May 2025 10:37:48
मिर्जापुर। जनपद के मड़िहान तहसील स्थित देवरी गांव में निर्माणाधीन मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय अब तेजी से आकार ले रहा है।...
टिप्पणियां