इंदिरा गांधी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा का परिणाम था आपातकाल -संजय द्विवेदी
संत कबीर नगर ,सेमरियावां (संत कबीर नगर ) बुधवार को ए. एच. एग्री. इंटर कालेज दुधारा में आपात काल की त्रासदी पर सेमिनार व वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य संजय द्विवेदी व संचालन कमरे आलम ने किया। प्रधानाचार्य संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत में आपातकाल इंदिरा गांधी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा का परिणाम था। उन्हें ही आपातकाल का दोषी ठहराया जाता है क्योंकि उन्होंने ही इसे लागू किया था। आपातकाल के दौरान, सरकार ने नागरिकों के अधिकारों को निलंबित कर दिया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी, और राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार किया।
द्विवेदी ने बताया कि आपातकाल की घोषणा 25 जून, 1975 को की गई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं। उन्होंने देश में आंतरिक और बाहरी खतरों का हवाला दिया, लेकिन कई लोगों का मानना था कि यह उनकी सत्ता को मजबूत करने और अपने राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने का एक तरीका था।
उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान, सरकार ने कई विवादास्पद नीतियां लागू कीं, जैसे कि जबरन नसबंदी। इन नीतियों की व्यापक आलोचना हुई और इसने इंदिरा गांधी की छवि को धूमिल कर दिया।आपातकाल के बाद, इंदिरा गांधी को 1977 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने 1980 में फिर से सत्ता हासिल की, लेकिन आपातकाल की छाया उनके राजनीतिक करियर पर हमेशा बनी रही।ने कहा कि आपातकाल के दौरान, समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दी गई, जिससे सरकार की आलोचना करने वाली या आपातकाल के बारे में नकारात्मक जानकारी देने वाली खबरों को दबाया गया। पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, देश के अनेक समाचार पत्रों को बंद कर दिया गया। सेमिनार में रुबीना खातून, मधु चौधरी, सुंदरी, रुखसार ने भी अपना पक्ष रखा।
इस दौरान प्रधानाचार्य संजय द्विवेदी, मुहम्मद इस्तियाक,कमरे आलम सिद्दीकी, अब्दुल सलाम, मुहम्मद शाहिद, जुबैर अहमद, मुहम्मद युनुस, औबेदुल्लाह, मुहम्मद परवेज अख्तर,ओजैर अहमद, सबीह अहमद, असादुल्लाह, जुनैद अहमद, रफी अहमद सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
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