मुख्यमंत्री को राजमार्ग और एक्सप्रेसवे का अंतर नहीं पता: अखिलेश यादव

मुख्यमंत्री को राजमार्ग और एक्सप्रेसवे का अंतर नहीं पता: अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे को "सबसे महंगा राजमार्ग" करार देते हुए शुक्रवार को दावा किया कि यह एक्सप्रेसवे नहीं बल्कि चार-लेन वाला राजमार्ग है। अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जो लोग दूसरों के बनाए राजमार्ग पर उंगली उठाते हैं, वे अपनी सरकार बनने के बाद तरह-तरह के बयान देते हैं। भ्रष्टाचार पर कितनी बातें की गईं। आज सबसे महंगा राजमार्ग बना है। 
 
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण की लागत पर सवाल उठाते हुए कहा, "कल तक हम अखबारों में खोजते थे कि कितने हजार करोड़ रुपये में राजमार्ग बना है। लेकिन, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि आज सभी अखबारों ने बताया है कि राजमार्ग सात हजार करोड़ रुपये में बना है और इसे कब बनना चाहिए था? 
अगर किसानों का मुआवजा दो हजार करोड़ रुपये है, तो पांच हजार करोड़ रुपये (बचे हुए) हैं। अगर हम पांच हजार करोड़ रुपये को 91 किलोमीटर सड़क (लंबाई) से विभाजित करते हैं, तो इसकी लागत 50 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर से अधिक होगी, और वह भी चार-लेन।" 
 
उन्होंने कहा कि यह 4-लेन राजमार्ग है, एक्सप्रेसवे नहीं। यादव ने कहा, "हमारे मुख्यमंत्री को 4-लेन राजमार्ग और एक्सप्रेसवे के बीच का अंतर नहीं पता है। यह सड़क भारतीय सड़क कांग्रेस के मानकों के अनुसार नहीं बनाई गई है। और, जिसने भी मानकों के साथ खिलवाड़ किया है, क्या यह सरकार ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कभी कार्रवाई करेगी।" 
 
डी कंपनी पर एक सवाल के जवाब में सपा प्रमुख ने कहा, "डी कंपनी क्या है, यह बताइए। आप किस डी कंपनी का जिक्र कर रहे हैं? मैं आपको बता रहा हूं कि डी कंपनी क्या है, यह एक विकास कंपनी है।" 
 
उन्होंने कहा, "पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किसी नेता ने नहीं मांगा था। जब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बना था, उस समय नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की बदौलत, जिन्हें आजमगढ़ ने (अपने लोकसभा सांसद के रूप में) चुना था, मैंने इसकी घोषणा की थी, शिलान्यास किया था और भूमि अधिग्रहण किया था।" 
 
सपा प्रमुख अकिलेश यादव ने यह भी कहा कि यदि सपा सत्ता में आती है, तो "हम आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की तुलना में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर बेहतर काम करेंगे, ताकि यह बेहतर दिखे।"
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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