गाय घृत अमृत, पावक, पर्जन्य व वृष्टिकर्ता: अग्निहोत्री नवरतन
जोधपुर। सोमयाजी अग्निहोत्री पंडित नवरतन व्यास ने गाय घृत की महत्वत्ता बताते हुए कहा कि यह पांच अमृत में से एक महत्वपूर्ण अमृत है। गाय घृत ही एक महत्वपूर्ण पदार्थ है जो हवन में देवताओं तक उनका भोग आहुति के माध्यम से ले जाता है। घृत ही पर्जन्यकर्ता, वृष्टिकर्ता है जिससे वातावरण में शुद्धता आती है, धरती पर वर्षा होती है और मनुष्य सहित सभी जीव जंतुओं को धन धान्य प्राप्त होकर उनका जीवन निर्वाह होता है। यह विचार सोमयाजी पण्डित नवरतन व्यास ने संवित धाम में आगामी 12 जुलाई से होने वाले महामृत्युंजय कोटि रुद्र हवन में भाग लेने वाले वैदिक पंडितों, ब्राह्मणों को हवन प्रक्रिया समझाते हुए प्रकट किए।
संवित साधनायन सोसायटी के शरद जोशी और रवि पुरोहित ने बताया कि महामृत्युंजय कोटि रुद्र हवन में सैकड़ों किलो सर्वोषधि व साकल्य सहित सबसे महत्वपूर्ण 3000 किलो गाय के शुद्ध घृत का उपयोग आहुतियां देने में किया जाएगा। संवित धाम आश्रम में संचालित कामधेनु गौशाला जहां विश्व प्रसिद्ध गिर प्रजाति का 40 गौवंश है, इसी गौशाला के साथ साथ अन्य गौशालाओं से गाय का घृत एकत्रित किया जा रहा है। सोमयाजी अग्निहोत्री पंडित नवरतन व्यास के आचार्यत्व में होने वाला महामृत्युंजय कोटि रुद्र हवन 12 जुलाई से प्रारंभ होकर पूरे एक माह चलेगा। 25 कुंडीय यज्ञशाला में एक करोड़ महामृत्युंजय मंत्र की आहुतियां दी जाएगी जिसकी पूर्णाहुति 12 अगस्त को होगी।
गाय घृत की आहुति से पर्यावरण होगा शुद्ध
पंडित नवरतन व्यास ने वैदिक ब्राह्मणों, पंडितों को बताया कि विश्व कल्याण, भारत में सनातन धर्म की प्रतिपालना में, वैदिक, दिव्य अनुष्ठान, शिवकृपा, आत्मशुद्धि और लोककल्याण के लिए यह हवन अत्यंत ही प्रभावशाली माध्यम सिद्ध होगा। अग्निहोत्री ने बताया कि वर्तमान में पर्यावरण में जो अशुद्धि आई है, ओजोन परत में जो छेद हो गए हैं, इस हवन में प्रयुक्त शुद्ध गाय घृत की आहुति इस छेद को भरने का काम भी करेगी। जिस तरह सूर्य में चन्द्रमा आहूत होता है उसी तरह पावकमय अग्नि में गाय घृत सोम का कार्य करते हुए पृथ्वी की, वातावरण की रक्षा कर देवताओं को भी प्रसन्न करता है। इस अवसर पर संवित सोसायटी के श्याम किशन बोहरा, बृजेश हर्ष, गोविंद लाल बोहरा, सतीश बोहरा, डॉ अमरेश छंगाणी, कार्तिक बोहरा, अनिल रागवाणी, महेश हर्ष, अशोक बोहरा, नटवर व्यास, संतोष पुरोहित सहित अन्य साधक भी उपस्थित थे।
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