हां, आपने सही पढ़ा-और अगर यकीन नहीं हो रहा, तो दोहरा देता हूं

राहुल गांधी ने घरों की बढ़ती कीमतों पर जताई चिंता

हां, आपने सही पढ़ा-और अगर यकीन नहीं हो रहा, तो दोहरा देता हूं

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुंबई में घरों की कीमतें बढ़ने से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए गुरुवार को दावा किया कि अब गरीबों से सपना देखने का हक भी छीन लिया गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक समाचार पत्र की खबर साझा करते हुए पोस्ट किया, "हां, आपने सही पढ़ा-और अगर यकीन नहीं हो रहा, तो दोहरा देता हूं कि मुंबई में घर लेने के लिए भारत के सबसे अमीर पांच प्रतिशत लोगों को भी 109 साल तक अपनी आमदनी का 30 प्रतिशत बचाना पड़ेगा।" 
 
उन्होंने कहा, "यही हाल ज़्यादातर बड़े शहरों का है, जहां आप अवसर और सफलता की तलाश में एड़ियां घिस देते हैं। और, कहां से आएगी इतनी बचत?"  कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया, " गरीब और मध्यम वर्ग की विरासत दौलत नहीं, जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे कि बच्चों की महंगी शिक्षा, महंगे इलाज की चिंता, माता-पिता की ज़िम्मेदारी या परिवार के लिए छोटी सी गाड़ी। फिर भी दिलों में रहता है एक सपना - 'एक दिन' एक घर होगा अपना! " राहुल गांधी ने कहा कि जब वह ‘एकदिन’ अमीरों के लिए भी 109 साल दूर हो, तो समझिए गरीबों से सपनों का भी हक़ छीन लिया गया है। 
 
उनका कहना था, "हर परिवार की ज़रूरत है, सुकून वाली चारदीवारी और सर ढकने वाली छत - मगर अफसोस कि आपकी पूरी जिंदगी की मेहनत और बचत से भी ज़्यादा है उसकी कीमत।" राहुल गांधी ने कहा, "जब अगली बार कोई आपको सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े सुनाए, तो उन्हें अपने घरेलू बजट की सच्चाई' दिखाएं - और पूछें, ये अर्थव्यवस्था किसके लिए है?"  
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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